MP NEWS- नर्सिंग कॉलेज मान्यता घोटाले के खुलासे के बाद नियम बदले

Bhopal Samachar
मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने संबंधी नियम बदल दिए हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में नर्सिंग कॉलेज मान्यता घोटाले का खुलासा हो चुका है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा है कि, नर्सिंग कॉलेज मान्यता घोटाला, व्यापम घोटाले से भी ज्यादा बड़ा और खतरनाक हो सकता है। 

नर्सिंग कॉलेज संचालकों 2500000 की बैंक गारंटी देनी होगी

मप्र के चिकित्सा शिक्षा विभाग के उप सचिव केके दुबे ने बताया अब प्रायवेट नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए संस्था के पास खुद की अकेडमिक बिल्डिंग होनी चाहिए। खुद का अकादमिक भवन न होने पर ऑनलाइन आवेदन करते समय नर्सिंग कॉलेज खोलने वाली संस्था को 25 लाख रूपए की बैंक गारंटी के साथ एफिडेविट देना होगा। और उस संस्था को पांच साल के भीतर अपनी खुद की बिल्डिंग बनानी होगी। पांच साल में बिल्डिंग न बनाने पर नर्सिंग कॉलेज की संचालक संस्था द्वारा जमा की गई 25 लाख की बैंक गारंटी जब्त हो जाएगी। 

नर्सिंग कॉलेज भवन के लिए लीज डीड 30 साल 

चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा किए गए नियमों में बदलाव के बाद अब नर्सिंग कॉलेज की अकेडमिक बिल्डिंग लीज पर लेने के लिए समिति के पांच सदस्यों और नर्सिंग कॉलेज के बीच 30 साल की लीज डीड रजिस्टर्ड होने पर ही मान्य की जाएगी।

हॉस्पिटल में ज्यादा बेड होने पर दूसरे कॉलेज को मिलेगी संबद्वता

नर्सिंग कॉलेज में संचालित सभी कोर्सेज के लिए पैरेंट हॉस्पिटल में बिस्तर ज्यादा उपलब्ध होने पर दूसरे नर्सिंग कॉलेज को भी बाकी बिस्तरों के आधार पर संबद्धता दी जा सकेगी।

एक जिला, एक संस्था, एक नर्सिंग कॉलेज

नियमों में बदलाव करते हुए नियमों को ताक पर रखकर खुल रहे नर्सिंग कॉलेजों पर रोक लगाने के लिए सख्ती की गई है। अब एक जिले में किसी भी समिति, ट्रस्ट या कंपनी एक नर्सिंग कॉलेज संचालित कर रही है तो वह उसी जिले में नया नर्सिंग कॉलेज संचालित नहीं कर पाएगी। जिले में पहले से चल रहे नर्सिंग कॉलेज के नाम से या उससे मिलते जुलते नाम या शॉर्ट नाम से नए नर्सिंग कॉलेज के आवेदन मान्य नहीं किए जाएंगे।

कैसे हुआ मध्यप्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों का खुलासा

कोरोना संकट के दौरान जब संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी तो मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ गए। अधिवक्ता उमेश बोहरे ने बताया कि नर्सिंग कॉलेजों की संख्या के हिसाब से करीब एक लाख बिस्तर प्रदेश में होने चाहिए अखबारों में जब यह समाचार आया तो हमने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट ने दस सदस्यीय जांच समिति बनाकर नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के निर्देश दिए। लेकिन नर्सिंग कॉलेजों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए यह तर्क दिया कि नर्सिंग काउंसिल की समिति जांच करती है उसी के जरिए जांच कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जब जांच हुई तो फर्जी नर्सिंग काॅलेजों की हकीकत सामने आ गई। जांच समिति ने 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म करने की रिपोर्ट दी।

ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश पर 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द

मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाडे को लेकर याचिका दायर की गई थी। दो-चार कमरों में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरूद्ध तरीके से मान्यता देने के मामले पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अब तक करीब 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द की जा चुकी है। 

हाईकोर्ट के वकील उमेश बोहरे ने बताया कि कागजों में चलने वाले नर्सिंग कॉलेजों में दी जा रहीं डिग्रियों से आम मरीजों का जीवन खतरे में डालने वालों पर कार्रवाई की अनुरोध न्यायालय से किया था। अभी 70 कॉलेजों की मान्यता रद्द हुई है करीब 200 नर्सिंग कॉलेज और ऐसे हैं जो नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं।

बिना बिल्डिंग का नर्सिंग कॉलेज, एडमिशन लिस्ट में कई राज्यों के स्टूडेंट

ग्वालियर के बरौआ गांव में एक बिल्डिंग के बाहर नर्सिंग कॉलेज का बोर्ड लगाकर फर्जी डिग्रियां देने का काम चल रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक बिल्डिंग में परीक्षा के समय कुछ स्टूडेंट्स आते है। नर्सिंग कॉलेज में सिर्फ एक कम्प्यूटर लैब है। यहीं से यूपी, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के स्टूडेंट्स को नर्सिंग की डिग्रियां दी जातीं हैं।

₹200000 में बिना परीक्षा नर्सिंग कोर्स की डिग्री

कागजों में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों में यूपी, बिहार, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू के स्टूडेंट्स को एडमिशन देकर नर्सिंग के कोर्स कराए जाते हैं। इन स्टूडेंट्स को दो से तीन लाख रूपए में पूरी डिग्री दिलाने का ठेका ले लिया जाता है। स्टूडेंट्स को सिर्फ परीक्षा के वक्त ही आना पड़ता है। ऐसे में बिना पढ़े और प्रेक्टिकल के डिग्री हासिल कर अस्पतालों में मरीजों का इलाज करने वाले नर्सिंग स्टूडेंट्स जान पर भारी पड़ सकते हैं। इस मामले को लेकर कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। 

हाईकोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को फटकारा था

बीते अप्रैल में चंबल संभाग में नर्सिंग कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन को लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शिक्षा प्रसार समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सुनीता यादव की डिवीजन बेंच ने मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. प्रभात कुमार से कहा था - अपने अधिकारियों को ये बता दीजिए कि कोर्ट इस मामले में काफी चिंतित हैं। ये गड़बड़ बंद होनी चाहिए। चाहे वह मेडिकल के मामले में हो या पैरा मेडिकल के, नहीं तो एक समय ये आएगा कि ये व्यापमं से बड़ा घोटाला हो जाएगा। और तब आप सब दिक्कत में पड़ जाओगे। नियमित निरीक्षण करें और नियमों का पालन करें। अपात्र लोग इस सेवा में आएंगे तो ठीक नहीं होगा। 
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