MMVY- मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के नियम बदले जा रहे हैं। चुनावी सीजन शुरू हो जाने के कारण सरकार न्यूट्रल गियर में है। जनता के सामने शर्तें रखने के बजाय सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है। MMVY की सबसे बड़ी प्रॉब्लम पेरेंट्स की ईयरली इनकम में बदलाव थी। खबर मिली है कि सरकार इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने जा रही है।
MMVY- अभी क्या समस्या है
योजना के तहत विद्यार्थी का चयन होने के लिए अनिवार्य है कि उसके पेरेंट्स की टोटल ईयरली इनकम ₹600000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। निर्धारित पूरी होने पर स्टूडेंट को स्कॉलरशिप मिलने लगती है। वह कॉलेज में एडमिशन ले लेता है। फर्स्ट ईयर कंपलीट होने के बाद स्टूडेंट को फिर से अपने पेरेंट्स का इनकम सर्टिफिकेट सबमिट करना होता है। यदि इस साल पेरेंट्स की वार्षिक आय ₹600000 से ज्यादा हो गई योजना का लाभ नहीं मिलता। स्टूडेंट्स और पैरेंट्स का कहना है कि किसी कोर्स (2 साल या 3 साल वाले) में एक बार एडमिशन हो जाने के बाद डिग्री पूरी होने से पहले सरकार सहायता कैसे बंद कर सकती है।
MMVY- में क्या बदलने वाला है
चुनाव के कारण सरकार दबाव में है लेकिन इतनी भी दबाव में नहीं है, इसलिए हर साल वार्षिक आय वाली शर्त बनी रहेगी लेकिन उस की लिमिट ₹600000 से बढ़ाकर 1000000 रुपए की जा रही है। यानी एडमिशन लेने के बाद अगले साल पेरेंट्स की इनकम थोड़ी बढ़ गई तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
2. पॉलिटेक्निक व ई-फार्मा के छात्रों को क्रमश: बीई सेकंड ईयर या बी-फार्मा में प्रवेश (लेटरल एंट्री) लेने पर स्कीम का लाभ मिलेगा। अभी लेटरल एंट्री लेने पर स्कीम की पात्रता हासिल नहीं होती थी।
3. नीट और क्लेट में प्रवेश की पात्रता परीक्षा पास करने वालों की रैंक फिक्स होगी जो क्रमश: 50 हजार और 3 हजार तक रहेगी। इसके बाद छात्रों को नहीं लिया जाएगा। अभी कोई मैरिट नहीं थी। मप्र के मूल निवासी शासकीय कॉलेज में प्रवेश लेते थे, उनकी फीस जमा हो जाती थी।
MMVY- इन नियम और शर्तों में कोई बदलाव नहीं
मप्र का मूल निवासी होना अनिवार्य,
एमपी बोर्ड में 12वीं की परीक्षा में 70% या इससे अधिक अंक,
सीबीएसई-आईसीएसई में 85% या इससे अधिक अंक
जेईई-मेंस में रैंक की मैरिट 1 लाख 50 हजार तक रहेगी।
सरकारी कॉलेज की पूरी फीस भरी जाएगी, लेकिन प्राइवेट कॉलेज की 1 लाख 50 हजार तक या वास्तविक फीस जो भी कम हो दी जाएगी।