जबलपुर। लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश शासन द्वारा व्यवसायिक शिक्षकों की भर्ती हेतु बनाई गई नवीन नीति को हाई कोर्ट द्वारा स्थगित कर दिया गया है। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने बिना किसी कारण के व्यवसायिक शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त किया था। डीपीआई के अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश के पालन हेतु कार्यवाही तो की परंतु आयु सीमा का बंधन लगा दिया जिससे 14 व्यवसायिक शिक्षक अयोग्य हो गए थे।
श्री विजय पटेल, पन्ना में, श्रीमती अरुणा मंडला जिले में, श्रीमती दीपिका वर्मा उज्जैन में, राकेश पाल उज्जैन, सत्यभामा देवी रीवा, रेणुका द्विवेदी सतना, अरविंद तिवारी सतना, तबस्सुम निशा सागर, तस्लीम बानो सागर, शमा अख्तर पन्ना, सुनीति श्रीवास्तव रीवा, श्रीमती ममता बालाघाट, रंजीता ठाकुर रायसेन में व्यवसायिक शिक्षक के रूप में नियुक्ति पश्चात कार्य कर रहे थे।
इनमें से कुछ शिक्षक कई वर्षों से कार्य कर हैं। आदेश दिनाँक 17/07/21 जारी कर आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने पूर्व से कार्यरत व्यवसायिक शिक्षकों के स्थान पर नवीन व्यवसायिक शिक्षक भर्ती की योजना को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट के आदेश के बाद, शासन ने भर्ती योजना को निरस्त कर, पूर्व से कार्यरत व्यवसायिक शिक्षकों के दस्तावेज योग्यता के आधार पर सत्यापन कर नियुक्ति देने का निर्णय लिया परंतु नियुक्ति हेतु न्यूनतम आयु 37 वर्ष कर दी गई।
मात्र पूर्व सैनिकों को उनकी सेवा के आधार पर नियुक्ति में छूट दी गई थी। उल्लेखनीय है कि इसके अतिरिक्त पूर्व से कार्यरत अन्य सभी व्यवसायिक शिक्षक जो 37 वर्ष से अधिक थे, नियुक्ति हेतु अपात्र हो रहे थे। आयुक्त लोक शिक्षण के इस प्रकार के भेदभाव पूर्ण आदेश को उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष, व्यवसायिक शिक्षकों द्वारा चुनौती दी गई थी।
उनकी ओर से अधिवक्ता उच्च न्यायालय जबलपुर ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि नियुक्ति के समय कोई आयु सीमा निर्धारित नही थी। आयुक्त द्वारा जरूरत के आधार पर अधिक आयु के लोगों को पूर्व में रखने के निर्देश थे। आउटसोर्सिंग एजेंसी के विज्ञापन में पूर्व में आयु का उल्लंघन नही था। कुछ व्यवसायिक शिक्षक नियुक्ति के समय 37 वर्ष के कम थे, लेकिन अब इस आयु को पार कर चुके हैं।
शासन द्वारा मात्र पूर्व सैनिकों को छूट दी जा रही है। आरक्षण नियमों का पालन नही किया जा रहा है। अतः 37 वर्ष से अधिक आयु के व्यवसायिक शिक्षकों को सेवा से पृथक करने पर रोक लगाई जाए। उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्कों से सहमत होकर, याचिका में शामिल व्यवसायिक शिक्षकों के सेवा से पृथक करने पर रोक लगाते हुए, शासन को तलब किया है।