JABALPUR NEWS- पढ़िए अस्पताल में 8 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन-कौन

जबलपुर।
न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी हास्पिटल के संचालकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है और अस्पताल के मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस अग्निकांड में 8 लोगों की मृत्यु हुई है। इससे पहले भी ऐसे हादसे हुए लेकिन मध्यप्रदेश में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हुए। इसलिए जरूरी है कि इस मामले में पूरी कार्रवाई हो ताकि अगली घटना ना हो पाए। इस घटना के लिए सिर्फ अस्पताल संचालक जिम्मेदार नहीं है। और भी बहुत सारे हैं:- 

इन्वेस्टिगेशन में स्पष्ट हुआ है कि जनरेटर पर ओवरलोड होने के कारण आग लगी। अस्पताल सहित इस प्रकार के सभी संस्थानों का विद्युत सुरक्षा संबंधी आडिट अनिवार्य है। अतः ऊर्जा विभाग अथवा बिजली कंपनी का वह अधिकारी भी जिम्मेदार है जिसमें ना तो ऑडिट किया और ना ही बिना ऑडिट के चल रहे हैं अस्पताल को सील किया। 

अस्पताल के पास प्रोविजनल फायर एनओसी थी, जिस की वैलिडिटी मार्च 2022 में एक्सपायर हो गई थी। वैसे भी अस्पताल के शुरू हो जाने के बाद प्रोविजनल की वैल्यू खत्म हो जाती है। एक्चुअल फायर एनओसी होनी चाहिए थी। प्रोविजनल फायर एनओसी नगर निगम द्वारा जारी की गई थी। अतः वह अधिकारी जिम्मेदार है जिसमें 31 मार्च के बाद अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की। 

अस्पताल संचालन की अनुमति मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय द्वारा दी गई थी लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा अस्पताल का निरीक्षण परीक्षण नहीं किया गया। नियमित रूप से होने वाला निर्धारित इंस्पेक्शन भी नहीं किया गया। जिम्मेदारी तो बनती है, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण 8 लोगों की मृत्यु हो गई। 

पुलिस इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि अस्पताल में आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र नहीं थे यहां तक की रेत से भरी हुई बाल्टिया तक नहीं थी। कोई इमरजेंसी गेट नहीं था। अस्पताल को आकर्षक दिखाने के लिए प्लास्टिक क्यूब का इस्तेमाल किया गया था जिसके कारण आग भड़क गई। उस अधिकारी को जेल में होना चाहिए जिसकी अस्पताल का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी थी। सातवां वेतनमान हड़ताल करने के लिए नहीं दिया गया।

खबर का असर: न्यू लाइफ हॉस्पिटल अग्नि कांड पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने CMHO जबलपुर और फायर सेफ्टी ऑफिसर को निलंबित करने के आदेश दिए हैं, परंतु यह पर्याप्त नहीं है। अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। इन्वेस्टिगेशन में यदि निर्दोष पाए जाएं तो FIR में खात्मा लगाकर सेवाएं बहाल कर दें लेकिन FIR तो होनी चाहिए।
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