ग्वालियर। सन 1857 से लेकर अब तक सिंधिया राजपरिवार में किसी भी व्यक्ति ने महारानी लक्ष्मी बाई के प्रति सम्मान प्रकट नहीं किया परंतु भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया 14 अगस्त को दूसरी बार लक्ष्मीबाई की छतरी पर जाएंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद सबसे पहले दिसंबर 2021 में लक्ष्मी बाई की समाधि पर गए थे। यहां उन्होंने माथा टेका था। अब 14 अगस्त को सुबह 9:00 बजे ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में स्थित महारानी लक्ष्मी बाई की छतरी पर जाएंगे। यहां आयोजित हर घर तिरंगा अभियान के साथ मनाए जा रहे 'विभाजन की विभीषिका' स्मृति दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। स्वाभाविक है कि महारानी लक्ष्मीबाई को भी श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।
लक्ष्मीबाई और सिंधिया राजवंश के बीच क्या तनाव है
इतिहास में दर्ज है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने जब अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए ग्वालियर का किला उनसे छीन लिया था तब ग्वालियर के तत्कालीन राजा जयाजी राव सिंधिया ने आगरा में मौजूद अंग्रेजों की सेना को साथ लेकर महारानी लक्ष्मी बाई पर हमला किया। इसी हमले में लक्ष्मीबाई को वीरगति प्राप्त हुई थी। इस घटना के बाद से भारत के क्रांतिकारी सिंधिया राजवंश को गद्दार कहते हैं। और इसी घटना के बाद लॉर्ड कैनिंग ने सन 1857 की क्रांति को कुचलने के लिए जयाजी राव सिंधिया को शाबाशी देते हुए ग्वालियर के महाराजा की पदवी दी थी।