मध्य प्रदेश, भारत देश का अकेला ऐसा राज्य है जो 6 सांस्कृतिक क्षेत्रों को जोड़कर बनाया गया है। निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, महाकौशल, ग्वालियर और जनजातीय क्षेत्र। मध्य प्रदेश के नागरिकों के लिए गौरव की बात है कि इनमें से क्षेत्र ऐसा है जहां पर भगवान श्रीराम का शासन था।
बघेलखंड का इतिहास एवं पूरी जानकारी
बघेलखंड, कोसल प्रांत के अंतर्गत आता था। कोसल प्रांत भगवान श्री राम के राज्य का नाम है जिसकी राजधानी अयोध्या थी। भगवान श्री राम को जब वनवास मिला तब वह इसी क्षेत्र में आए थे, बघेलखंड से आगे बढ़ते हुए दक्षिण की तरफ गए और समुद्र के तट पर रामेश्वरम पहुंचकर उन्होंने रावण के राज्य लंका पर आक्रमण किया था। आध्यात्मिक इतिहास और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से बघेलखंड, भारत का एक प्रमुख क्षेत्र है। महाभारत के समय पांडवों ने भी बघेलखंड में वनवास का समय बिताया था। यही कारण है कि इस क्षेत्र में शिव, शाक्त और वैष्णव सम्प्रदाय की परम्परा विद्यमान है। यहाँ नाथपंथी योगियो का खासा प्रभाव है। कबीर पंथ का प्रभाव भी सर्वाधिक है। महात्मा कबीरदास के अनुयायी धर्मदास बाँदवगढ़ के निवासी थी।
बघेलखंड क्षेत्र में मध्य प्रदेश के अनूपपुर, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और उमरिया जिले आते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला एवं पूर्वी इलाहाबाद बघेलखंड के नक्शे में दिखाई देता है। बघेलखंड भारत का एक प्रमुख सांस्कृतिक क्षेत्र है और इसकी संस्कृति 6000 साल बाद आज भी जैसी की तैसी जीवित है। यहां के लोग आज भी बघेलखंडी में बात करते हुए आनंद और गर्व की अनुभूति करते हैं।