शिवलिंग पर चढ़ा दूध किसी को पिलाते क्यों नहीं, साइंटिफिक रीजन पढ़िए- Amazing facts in Hindi

भगवान को लगाया गया भोग भक्तों में बांटा जाता है। श्री कृष्ण का अभिषेक पंचामृत से किया जाता है और वह भी भक्तों को सेवन करने के लिए वितरित किया जाता है। सवाल यह है कि शिवलिंग पर हर रोज लाखों लीटर दूध चढ़ता है। वह दूध किसी को पीने के लिए क्यों नहीं दिया जाता। नदी नालों में क्यों बहा दिया जाता है। 

यह तो आप जानते ही हैं कि भगवान शिव का एक नाम व्योमकेश है। इसका अर्थ होता है अंतरिक्ष का स्वामी। ब्रह्मांड से जुड़ी जिज्ञासाओं का समाधान खोजने वाली अमेरिका की एजेंसी नासा ने स्पष्ट किया है कि पृथ्वी पर जितने भी ज्योतिर्लिंग है, वहां जमीन के नीचे न्यूक्लियर एक्टिविटी पाई गई है। नासा ने हजारों स्वयंभू शिवलिंग का अध्ययन नहीं किया। यदि करते तो शायद स्पष्ट हो जाता कि सभी स्वयंभू शिवलिंग में रेडियोएक्टिव एनर्जी पाई जाती है। 

शिवलिंग के नीचे जमीन की गहराइयों में इस तरह की एक्टिविटी को यदि शांत नहीं किया गया तो अनिष्ट हो सकता है इसलिए शिवलिंग पर नियमित रूप से जल अर्पित किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस दूध से गजब की ऊर्जा मिलती है वही दूध रेडियोएक्टिव एनर्जी को हानिकारक होने से रोकता है और जब रेडियो एक्टिव एनर्जी से युक्त दूध किसी नदी या नाले में प्रवाहित होता है तो उसे शुद्ध करने का काम करता है। 

यही कारण है कि जिन नदियों में लाखों गैलन कारखानों का केमिकल मिलाया जा रहा है, वह नदियां आज तक जहरीली नहीं हुई हैं। और यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया दूध किसी को पीने के लिए नहीं दिया जाता क्योंकि रेडियोएक्टिव एनर्जी से युक्त दूध का सेवन करना मनुष्य के लिए काफी हानिकारक है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!