भोपाल। केंद्र सरकार ने बड़ी घोषणा की है। पूरे भारत में प्राइवेट स्कूल से अच्छे सरकारी स्कूल खोले जाएंगे। इन स्कूलों का नाम पीएम श्री स्कूल होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। कृपया ध्यान रखें कि वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा पूरे भारत में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है अर्थात पीएम श्री स्कूल, भारत में संचालित केंद्रीय विद्यालयों से अलग होंगे।
PM SHRI SCHOOL कैसे होंगे, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गुजरात के गांधीनगर में शुरू हुए शिक्षा मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि हम पीएम श्री स्कूल स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं, जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित होंगे। उन्होंने कहा कि ये अत्याधुनिक स्कूल NEP 2020 की प्रयोगशाला की तरह काम करेंगे।
पीएम श्री स्कूल फ्यूचरिस्टिक बेंचमार्क मॉडल होंगे
प्रधान ने कहा कि स्कूली शिक्षा वह नींव है जिस पर भारत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनेगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी नई पीढ़ी को 21वीं सदी के ज्ञान और कौशल से वंचित नहीं कर सकते। मैं पीएम श्री स्कूलों के रूप में एक फ्यूचरिस्टिक बेंचमार्क मॉडल बनाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और पूरे एजुकेशनल इकोसिस्टम से सुझाव और फीडबैक आमंत्रित कर रहा हूं।
सीखने को और अधिक जीवंत बनाया जा सके
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के कार्यान्वयन पर ध्यान देने की अपील करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हम सभी को मिलकर काम करना है, एक-दूसरे के अनुभवों और सफलताओं से सीखना है, ताकि सीखने की प्रक्रिया को और अधिक जीवंत बनाया जा सके और भारत को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके। उन्होंने कहा कि अगले 25 साल भारत को एक ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं जो वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
स्कूल एजुकेशन के साथ स्किल डेवलपमेंट सरकार की प्रायोरिटी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के 5+3+3+4 दृष्टिकोण में प्री-स्कूल से सेकेंडरी स्कूल तक, प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा कार्यक्रम (ईसीसीई), शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा पर जोर, स्कूली शिक्षा के साथ कौशल विकास का एकीकरण और प्राथमिकता देना आदि शामिल हैं। 21वीं सदी के विश्व मानस (ग्लोबल सिटीजंस) को तैयार करने के लिए मातृभाषा में सीखने का अवसर देना भी एक बड़ा कदम है।