जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग की ओर से पैरवी के लिए नियुक्त किए गए विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि अनारक्षित पदों को सामान्य सीट कहना अवैधानिक है। सामान्य शब्द के कारण भ्रम की स्थिति बनती है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में पंचायतों व नगरीय निर्वाचनों में आरक्षण प्रक्रिया में अनारक्षित सीटों को शब्दों द्वारा व लेखनी द्वारा सामान्य शब्द लिखा जा रहा है। मीडिया भी अनारक्षित सीटों को सामान्य सीटों के नाम से प्रकाशित कर रहा है। संवैधानिक पदों पर बैठे के प्राधिकारी भी अनारक्षित सीटों व पदों को सामान्य शब्द बोला जा रहा है। यही नहीं लिखा भी जा रहा है। उक्त कृत्य सामान्य प्रशासन विभाग के 24 मई, 1995 के ज्ञापन में दर्ज निर्देशों के सर्वथा विपरीत है।
सामान्य कोई शब्द नहीं है: एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर
ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि सामान्य कोई शब्द नहीं है न ही सामान्य शब्द को कहीं परिभाषित नहीं किया गया है। लिहाजा, यह शब्द के लिखे जाने के कारण भ्रम की स्थिति निर्मित न हो, इसलिए स्पष्ट रूप से आरक्षित व अनारक्षित शब्द ही लिखे जाएं। ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों में पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि शासकीय दस्तावेजों में अनारक्षित पदों को सामान्य पद लिखा जाना अवैधानिक व असंवैधिक है।
अनारक्षित को सामान्य लिखना संविधान की मंशा का हनन
अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह व उदय कुमार ने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर की दलील का समर्थन किया। उनका कहना है कि इस तरह अनारक्षित को सामान्य नहीं लिखा जाना चाहिए। इससे संविधान की मंशा का हनन हो रहा है। हाई कोर्ट को इस दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए।
वकीलों ने कहा कि इस सिलसिले में याचिका दायर की जाएगी। साथ ही यह निर्देश जारी करने पर बल दिया जाएगा कि सभी निर्वाचन अधिकारी सही शब्द का इस्तेमाल करें। ऐसा न किया जाना अवमानना की परिधि में आएगा।