जबलपुर। रिश्वतखोर अधिकारी कर्मचारियों की मान्यता होती है कि यदि उनके खिलाफ कोई प्रकरण बन ही गया तो इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को रिश्वत देकर मामले को रफा-दफा करवा लेंगे, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। सिवनी जिले में लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वतखोर अकाउंटेंट के खिलाफ पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत किया नतीजा कोर्ट ने अकाउंटेंट को 4 साल की जेल की सजा सुनाई है।
सिवनी जिले के उप स्वास्थ्य केंद्र चावड़ी में स्वास्थ्यकर्ता के पद पर पदस्थ वाल्मीक सोनी का पेंशन प्रकरण तैयार बनना था। जिसे बनाने के बदले जिला अस्पताल के लेखापाल सुरेश काकडे़ निवासी हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी ने 12 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने लोकायुक्त जबलपुर में इसकी शिकायत कर दी। लोकायुक्त पुलिस ने रणनीति बनाकर छापामार कार्रवाई की जिसमें अकाउंटेंट सुरेश काकडे़ ₹7000 रिश्वत लेते हुए अस्पताल के ऑफिस में गिरफ्तार कर लिया गया।
जिला लेखापाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत प्रकरण दर्ज लोकायुक्त दल ने चालान विशेष न्यायालय में पेश किया था। प्रकरण की सुनवाई विशेष सत्र न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) न्यायालय में की गई। इसमें शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक नवल किशोर सिंह द्वारा पैरवी की गई।
न्यायालय ने सबूतों व गवाहों से सहमत होकर दोषी लेखापाल सुरेश काकडे़ को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 3 वर्ष सश्रम कारावास व 2 हजार रुपए अर्थदंड, धारा- 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 4 वर्ष का सश्रम कारावास व 2 हजार रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई है।