Juvenile justice act 2015 Section 80
अधिनियम के अध्याय 8 में दत्तक ग्रहण संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं जैसे कि बालकों को किस दशा में गोद लिया जा सकता है। गोद लेने वाले माता-पिता दोनों की सहमति आवश्यक है। किसी अन्य परिस्थिति में माता स्वंय एकल दत्तक ग्रहण कर सकती है लेकिन किसी भी पुरूष एकल को बालक गोद नहीं दिया जाएगा।
अधिनियम के अनुसार अगर कोई व्यक्ति बाल कल्याण समिति के सिवाय (छोड़कर) बालक गोद लेता है तब उसे विधिक प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है, अन्यथा दत्तक ग्रहण प्रक्रिया अमान्य होगी अगर कोई बालक गोद लेने वाले व्यक्ति दत्तक ग्रहण का विधिक पालन नहीं करता है तब उन पर क्या कार्यवाही हो सकती है जानिए।
किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 80 की परिभाषा
यदि कोई व्यक्ति या कोई संस्था, संगठन, किसी अनाथ बालक को, लावारिस बालक को या बाल कल्याण संस्था में छोड़े बालक को या कोई व्यक्ति अन्य व्यक्तिगत प्रक्रिया से विधिक नियमों को उल्लंघन बालक को गोद देता है या बिना विधिक प्रक्रिया के कोई व्यक्ति बालक को गोद लेता है तब ऐसे व्यक्ति को या संगठन को अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
विशेष नोट:- यह धारा दत्तक पुत्र देने वाले व्यक्ति पर एवं दत्तक पुत्र लेने वाले व्यक्ति पर दोनों पर लागू होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665