महाराष्ट्र जैसे राज्य के मुख्यमंत्री अब एकनाथ शिंदे (पूरा नाम एकनाथ संभाजी शिंदे ) होंगे। सबसे खास बात यह है कि उन्हे बाला साहेब के सिद्धांतों पर चलने वाला नेता बताया जा रहा है। सभी जानते हैं कि एकनाथ शिंदे ने ऑटो रिक्शा से अपने करियर की शुरूआत की थी। आइए हम बताते हैं, कैसा बीता ऑटो रिक्शा से सीएम हाउस तक का सफर।
एकनाथ शिंदे: राजनीति में कैसे आए, कौन लाया
एकनाथ शिंदे को राजनीति में जाने की प्रेरणा कद्दावर नेता आनंद दीघे से मिली। 9 फरवरी 1964 को जन्मे एकनाथ शिंदे ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। फिर वह शिवसेना में शामिल हो गए। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे चार बार विधायक रहे। महाविकास अघाड़ी सरकार में वह शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री का प्रभार संभाल रहे थे। शिंदे राजनीति में अपनी सफलता के पीछे पार्टी संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का आभार जता चुके हैं।
एकनाथ शिंदे: कहां के रहने वाले हैं, निर्वाचन क्षेत्र कौन सा
सतारा जिले से ताल्लुक रहने वाले एकनाथ शिंदे ने ठाणे जिले को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। पार्टी की हिंदुत्ववादी विचारधारा और बाल ठाकरे से प्रभावित होकर शिंदे शिवसेना में शामिल हो गए। कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से विधायक एकनाथ शिंदे सड़कों पर उतरकर राजनीति के लिए पहचाने जाते हैं।
एकनाथ शिंदे का पहला चुनाव
एकनाथ शिंदे 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद चुने गए। वह 2004 के विधानसभा चुनाव में जीतकर पहली बार विधायक बने। शिंदे को पार्टी में दूसरे सबसे प्रमुख नेता है। एकनाथ के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण सीट से लोकसभा सदस्य हैं।
निजी जीवन में झेली परेशानियां
एक समय ऐसा भी आया जब शिंदे निजी जीवन में दुखी हुए। उनका परिवार बिखर गया था। 2 जून 2000 को एकनाथ के 11 वर्षीय बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा का निधन हो गया। शिंदे अपने बच्चों के साथ सतारा गए थे। बोटिंग के दौरान हादसा हो गया। बेटे-बेटी की मौत के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया था। इस बुरे समय में एकनाथ को आनंद दीघे ने सही रास्ता दिखाया और राजनीति में बने रहने को कहा।