जबलपुर। मध्य प्रदेश में शासकीय कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार के मामले में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि परिवार में कोई एक सदस्य शासकीय कर्मचारी है तो दूसरा सदस्य अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी नहीं हो सकता।
शहडोल जिला अंतर्गत गोरतरा निवासी अश्वनी कुमार पांडे की ओर से यह अपील दायर की गई। अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि अपीलकर्ता के पिता पुलिसकर्मी थे। सेवा के दौरान उनके निधन के उपरांत अपीलकर्ता ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए विभाग को आवेदन दिया, लेकिन इसे निरस्त कर दिया गया।
हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई। जिसे कोर्ट की एकलपीठ द्वारा पांच अप्रैल, 2022 को निरस्त कर दी। इसी आदेश को अपील के जरिए चुनौती दी गई। तर्क दिया गया कि अपीलकर्ता अपनी मां के साथ रहता है और उनके भरण पोषण, देखभाल के लिए उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता विवेक शर्मा ने कोर्ट को बताया कि अपीलकर्ता का भाई छत्तीसगढ़ सरकार के अधीन कर्मी है। उन्होंने कई न्यायदृष्टांत पेश किए।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि परिवार का एक सदस्य सरकार, सरकारी निगम, बोर्ड, आयोग या परिषद में सेवारत है तो दूसरे किसी सदस्य को पात्र होने के बावजूद अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। बाहर रहने के बावजूद सरकारी नौकरी करने वाला सदस्य परिवार के अंतर्गत ही माना जाएगा। इस अभिमत के साथ हाइ कोर्ट ने अपील निरस्त कर दी। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.