जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सेवामुक्ति के मामले में चार साल और आखिरी मोहलत देने के बावजूद जवाब पेश नहीं करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने एकीकृत बाल विकास परियोजना (ICDS) बिछिया के प्रोजेक्ट आफीसर पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जुर्माने की राशि अधिकारी को अपनी जेब से याचिकाकर्ता को भुगतान करना है। कोर्ट ने जवाब पेश करने पुन: चार सप्ताह की मोहलत दी है और कहा है कि यदि अब जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया तो मंडला जिले के कलेक्टर और प्रोजेक्ट आफिसर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा। मामले पर अगली सुनवाई 21 जून को होगी।मंडला निवासी चंद्रावती कुडापे की ओर से अधिवक्ता शक्ति पांडे ने बताया कि वर्ष 2017 में याचिकाकर्ता को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद से हटा दिया था।
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अधिवक्ता पांडे ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का काम पात्रों के शपथ पत्र और आवेदन को आगे बढ़ाना है। परियोजना अधिकारी और अन्य उच्चाधिकारी ये तय करते हैं कि इसका लाभ किसे दिया जाना है। याचिकाकर्ता ने सेवामुक्ति को 2018 में चुनौती दी थी। चार साल से शासन ने जवाब पेश नहीं किया। कोर्ट ने 12 अप्रैल 2022 को जवाब पेश करने चार सप्ताह की अंतिम मोहलत दी थी। इसके बावजूद जवाब नहीं आया तो उक्त आदेश दिया गया। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.