वह छोटे अपराध जो केवल तीन माह कारावास या केवल जुर्माने से दंडनीय है, जिन्हें समन मामले कहते हैं, उनका विचारण मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है एवं कोई भी मजिस्ट्रेट ऐसे अपराध का विचारण करेगा। ऐसे मामलों में मजिस्ट्रेट का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होता है। उसके फैसले को ना तो चुनौती दी जा सकती है और ना ही कोई मजिस्ट्रेट उसकी अपील की सुनवाई करेगा।
समन मामलों में किस धारा के तहत आरोपी को दोष मुक्त घोषित करते हैं
जब मजिस्ट्रेट अभियोजन पक्ष एवं आरोपी पक्ष के साक्षियों की परीक्षा करवा लेता है तब मजिस्ट्रेट की राय में लगता है कि आरोपी व्यक्ति निर्दोष है तब मजिस्ट्रेट दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 255(1) के अंतर्गत आरोपी को दोषमुक्त कर देगा।
समन मामलों में किस धारा के तहत आरोपी को दण्डादेश सुनाया जाता है
लेकिन अगर मजिस्ट्रेट को लगता है कि आरोपी पर लगे अपराध के आरोप सही है तब मजिस्ट्रेट धारा 255 की उपधारा 2 के अंतर्गत समन मामलों के अपराध में आरोपी को दण्ड के आदेश देगा।
विशेष नोट:- मजिस्ट्रेट उन्ही मामलों में दण्डादेश देगा जिसकी वह अधिकारिता रखता हैं अगर अपराध का विचारण या दण्डादेश देने की अधिकारिता मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को है, तब मजिस्ट्रेट ऐसे समन मामले के अपराध को उक्त मजिस्ट्रेट को भेज देगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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