जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस पीके कौरव की खंडपीठ ने ने नगरीय प्रशासन विभाग शहडोल के कमिश्नर को नोटिस जारी करके पूछा है कि दिसंबर 2021 से अब तक नगर परिषद बिजुरी से संबंधित भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्यवाही क्यों नहीं की।
बिजुरी के राजेश द्विवेदी एवं अन्य नागरिकों की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गईं। अधिवक्ता धीरज कुमार तिवारी ने कोर्ट को बताया कि बिजुरी शहर 2011 की जनगणना के अनुसार 32,682 की आबादी के साथ अविकसित शहर में से एक है। यहां बहुसंख्यक आबादी आदिवासी है। छत्तीसगढ़ की सीमाओं से सटे इस कोयलांचल खनिज बाहुल्य चेत्र में नगर परिषद बिजुरी द्वारा एवं अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से 50 करोड़ रुपये की राशि से अधिक भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए विभिन्न अखबारों द्वारा गत दिवस कई खबरें प्रकाशित की गईं थी।
इस पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कभी भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। नागरिकों को पीने के लिए काला पानी, और गुणवत्ता विहीन सड़क, मनमाने तरीके से बिल्स बना कर सरकार के खाते से भुगतान जैसे अनेक कार्यो में अनियमितता पाई गई थी। ऑडिट रिपोर्ट्स में भी नगर परिषद बिजुरी में हुए एक बड़े भ्रष्टाचार को उजागर किया गया था। कई बार आला अफसरों को शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
गत 22 अप्रैल को कोर्ट ने नगरीय प्रशासन आयुक्त शहडोल को निर्देश दिए थे कि वे दिसम्बर 2021 से अब तक इस मामले मे की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। निर्देश के तारतम्य में पेश की गई रिपोर्ट का अवलोकन करने पर कोर्ट ने पाया कि कमिश्नर ने भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में तो बताया, लेकिन दिसंबर से अब तक की गई कार्रवाई का कोई जिक्र नहीँ किया। साथ ही खुद रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बजाय कनिष्ठ अधिकारी से रिपोर्ट पेश कराई। इसे लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने कमिश्नर को शोकाज नोटिस जारी करने के निर्देश दे दिए। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया JABALPUR NEWS पर क्लिक करें.