नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तकनीकी शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश के पॉलीटेक्निक अतिथि व्याख्याताओं (Guest Lecturer) के पक्ष में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, बीआर गवई ने सुनवाई करने के बाद मध्यप्रदेश तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिथि विद्वानों को स्थायित्व, वरिष्ठता, समान कार्य - समान वेतन, अनुभव, 12 माह वेतन, नियमितीकरण अन्य का लाभ न दिए जाने के मामले में सचिव गृह मंत्रालय भारत सरकार, चेयरमैन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (AICTE, New Delhi), मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा सहित अन्य को नोटिस (notice) जारी कर पॉलीटेक्निक अतिथि व्याख्याताओं (Guest Lecturer) के शोषण को लेकर जवाब तलब किया है।
लगभग 300 पॉलीटेक्निक अतिथि व्याख्याता (विद्वान) याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व में निर्धारित नियम के तहत पॉलीटेक्निक कॉलेज में अतिथि व्याख्याता के पद पर नियुक्त किए गए थे। वह ईमानदारी से अपने कार्य कर रहे है। बावजूद इसके 27 जनवरी 2022 को तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में पूर्व से कार्यरत को यथावत न कर, नई व्यवस्था से पॉलीटेक्निक अतिथि व्याख्याताओं को रखे जाने का उल्लेख है।
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता वरुण ठाकुर द्वारा याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी कि अतिथि व्याख्याता 15 वर्ष से अधिक समय से पॉलीटेक्निक कॉलेज में कार्यरत है और इतने अधिक समय बाद नई नौकरी ढूंढ पाने में सक्षम नहीं है। और कहा इतने समय बाद भी तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से पॉलीटेक्निक अतिथि व्याख्याताओं (Guest faculty) के लिए अनिश्चितता बनी हुई है। इस प्रकार अतिथि व्याख्याताओं का शोषण किया जा रहा है। पूर्व भी सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में अपने आदेश में साफ कर दिया है कि अतिथि विद्वान (गेस्ट फैकल्टी) का पद अन्य अतिथि विद्वान (गेस्ट फैकल्टी) से नहीं भरा जा सकेगा।
इसके बाबजूद पुराने अतिथि व्याख्याताओं को स्थायित्व न देते हुए, नवीन अतिथि विद्वान के पद को अन्य अतिथि विद्वानों से भरा जा रहा है। जिसके बाद मनमानी पर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव, मध्यप्रदेश शासन, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.