जबलपुर। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने मुख्यमंत्री चिकित्सा स्वास्थ्य योजना के अधर में लटके होने पर दुःख व्यक्त किया है।विगत वर्ष योजना की घोषणा तो की गई थी लेकिन आदेश आज तक जारी नहीं हुए। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को इस योजना का लाभ देने के लिये सरकार ने सभी औपचारिकताएं पूरी भी कर ली है, जिसमे कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह राशि काटने का प्रावधान रखा गया है। विभागीय कम्प्यूटर में सभी कर्मचारियों की पूरी जानकारियां करीबन 1 वर्ष पूर्व अपडेड कर ली गई है।
इस योजना का लाभ देने के लिये स्टेट हैल्थ कार्ड बनाकर सभी को दिये जाने थे। सरकार की मंशा के पश्चात यह योजना आज तक लागू नहीं कि गई है। इस योजना के लागू होने से करीबन 10 लाख कर्मचारियों को और उनके परिजनों इसका लाभ मिलना है।उत्तर प्रदेश सरकार ने इस योजना का लाभ अपने 28 लाख कर्मचारियों को प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेश इलाज की सुविधा प्रदान कर दी है।
आज मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को सरकारी खर्चे पर प्राइवेट अस्पतालों में (सीजीएचएस) की तरह इलाज की सुविधा प्राप्त नहीं है, इसलिए अनेक कर्मचारी गंभीर रूप से बीमार होने के पश्चात भी महंगी जांच और इलाज नहीं करवाया पा रहा है। सरकारी अस्पतालों में कैंसर, लकवा, हार्ट अटैक, दमा, गंभीर सर्जरी, ब्रेन हैम्बरेज के सरकारी कर्मचारी इलाज करवाने की कतार में भर्ती है। सुविधाओं का अभाव अनेक कर्मचारियों के लिये जीवन और मौत का विषय बना हुआ है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे,जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, मध्यप्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के संजय गुजराल ,देव दोनेरिया, विश्वदीप पटेरिया,नरेश शुक्ला,प्रसांत सोधिया, सन्तोष मिश्रा, यू एस करोसिया, रविकांत दहायत, अजय दुबे, एस. के. वांदिल, मुकेश चतुर्वेदी,योगेस चौधरी ,योगेन्द्र मिश्रा, धीरेंद्र सिंह ,प्रदीप पटैल ,मुकेश मराकाम, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पांडेय , ब्रजेश मिश्रा ने समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को मुख्यमंत्री चिकित्सा योजना ,आयुस मान योजना के तहत समस्त प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी खर्चे पर समस्त बीमारियों के समूचे इलाज की सुविधा दिए जाने की मांग की है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण समाचारों के लिए कृपया karmchari news पर क्लिक करें