ग्वालियर। शनिचरी अमावस्या दिनांक 30 अप्रैल 2022 को पड़ रही है। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई है क्योंकि ग्वालियर अंचल के शनिश्चरा मंदिर में शनि की शांति के लिए अमावस्या के दिन देशभर से हजारों लोग आते हैं। शनिचरी अमावस्या के कारण यह संख्या काफी बढ़ जाएगी।
पितरों को मोक्ष दिलाने वाली अमावस्या, शनिश्चरा मंदिर में भक्तों की भीड़ लगेगी
भारतीय पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। इस दिन चंद्र के दर्शन नहीं होते। वैशाख मास की अमावस्या को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली अमावस्या कहा जाता है। इसीलिए इस दिन को धर्म-कर्म और पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
साढ़ेसाती शनि पीड़ितों की मुक्ति का अवसर
ग्वालियर शहर से करीब 15 किमी दूर एंती पहाड़ पर शनि मंदिर पर मेला भी लगेगा। गर्मी का मौसम और छुट्टियों का दिन होने के कारण इस मेले में भारी भीड़ होने की संभावना है। भगवान शनिदेव का यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। शास्त्रों में वर्णन है कि यहां स्वयं शनि देव विराजमान हैं। श्री राम भक्त हनुमान ने शनिदेव की स्थापना की थी। साढ़ेसाती शनि से पीड़ित यदि यहां पर विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं तो उन्हें क्षमा प्राप्त होती है।
शनिश्चरा अमावस्या की पूजा अपने घर पर कैसे करें
अमावस्या के दिन नदी, जलाशय या या घर पर ही पानी मे गंगा जल डाल कर स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। साथ ही पितरों की आत्म शांति के लिए तर्पण, पिंड दान व श्राद्ध करें व गरीब व्यक्ति को दान दें। इस दिन शनि जयंती होने से शनि देव का पूजन तिल, तेल व पुष्प आदि चढ़ाकर करें। इस दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाएं और शाम को दीपक जलाएं।
शनिश्चरा अमावस्या तिथि एवं मुहूर्त
वैशाख मास की अमावस्या 30 अप्रैल को सुबह 12:57 से शुरू होगी जो 1 मई को 01:57 पर समाप्त होगी। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.