मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित स्पेशल कोर्ट ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति बृजकिशोर कुठियाला वाली क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी। इतना ही नहीं कोर्ट ने आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (EOW) के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की योग्यता और मंशा पर भी सवाल उठाए। आइए जानते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच में आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ के विशेषज्ञ इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर ने क्लोजर रिपोर्ट में क्या कमी कर दी थी:-
यूनिवर्सिटी के खाते से कुलपति की पत्नी की हवाई यात्रा
अक्टूबर 2013 में पत्नी मधु कुठियाला के लिए 39,600 रुपए का फ्लाइट का टिकट यूनिवर्सिटी के अकाउंट से खरीदा। 4 महीने बाद कुठियाला के अकाउंट से ये पैसे यूनिवर्सिटी को चुका दिए गए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पद के दुरुपयोग का मामला तो यात्रा पूरी करते ही हो गया था। बाद में इस राशि को वापस करने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती। अनुसंधान अधिकारी ने ठीक ढंग से इसकी जांच ही नहीं की।
फोन गुम गया था, जांच अधिकारी ने FIR की कॉपी तक नहीं मांगी
विश्वविद्यालय के खर्च पर आईफोन-6 प्लस और आईफोन-4 लिया। आईफोन–6 टूटा-फूटा जमा कराया। उसका IMEI नंबर भी अलग था। यदि फोन टूट गया था तो फोन जमा कराते समय उसकी राशि भी जमा करानी चाहिए थी। दूसरा आईफोन-4 कुठियाला ने गुम होना बताया था, लेकिन उसकी FIR नहीं हुई। इस संबंध में जांच अधिकारी ने ठीक ढंग से अनुसंधान नहीं किया।
EOW ने फोन रिपेयरिंग काबिल भी नहीं मांगा
कुठियाला ने अपने बयान में कहा था कि सितंबर 2015 में छुट्टी पर USA में होने के दौरान उनका फोन डैमेज हो गया था। उस दौरान उन्होंने 137 डॉलर देकर फोन रिपेयर कराया था, लेकिन कोर्ट ने सवाल किया है कि कुठियाला ने ये नहीं बताया कि USA में उन्होंने कहां पर फोन को रिपेयर कराया था। इस बात की भी जांच नहीं की है।
विश्वविद्यालय के नियम पढ़े बिना जांच पूरी हो गई
कुलपति ने घर के दफ्तर के नाम पर फर्नीचर, वाइन कैबिनेट व अन्य सामान खरीदा था। अधिकारी ने इस बात की ठीक ढंग से जांच नहीं की कि उन्हें नियम के तहत क्या इन चीजों के अधिकार थे। जांच अधिकारी ने इस संबंध में विश्वविद्यालय के नियम भी नहीं लिए।
1.17 लाख का लैपटॉप 13 हजार का रह गया फिर भी जांच नहीं की
29 फरवरी 2016 को 1.17 लाख रुपए में लिनोवो योगा 3 प्रो लैपटॉप खरीदा गया था। इसके 2 साल बाद इसकी कीमत का आकलन 13,104 रुपए किया गया। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि दो साल में लैपटॉप की कीमत 90 प्रतिशत कैसे घट गई, जांच अधिकारी ने इसकी भी जांच नहीं की।
घर में एक्वेरियम खरीदा, यूनिवर्सिटी से पैसे मांगे, जांच में क्लीन चिट
25 अप्रैल 2018 की नोटशीट के मुताबिक 10,200 रुपए का एक्वेरियम कुठियाला ने अपने पैसों से खरीदा था, लेकिन उन्होंने उस राशि को विश्वविद्यालय के उपयोग में लाने के लिए राशि के समायोजन की नोटशीट लिखी। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि इस राशि का समायोजन करना क्या बेईमानीपूर्वक लाभ प्राप्त करना है।
कुलपति ने पैसे जमा नहीं कराए, जांच अधिकारी ने जांच नहीं की
कुठियाला से जयपुर, दिल्ली, वाराणसी की यात्रा राशि 28,196 रुपए और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में सरकारी खाते से जमा कराए गए 12,218 रुपए वापस जमा कराने के लिए कहा गया था, लेकिन कुठियाला ने वो राशि जमा नहीं कराई। इसकी अनुसंधान अधिकारी ने जांच नहीं की।
जांच अधिकारी की भी जांच होनी चाहिए
कोर्ट ने इस मामले में EOW को आदेश दिया है कि वह दोबारा से जांच करें लेकिन मध्यप्रदेश शासन को अपनी प्रतिष्ठा के लिए आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ के उस अधिकारी की भी जांच करानी चाहिए जिसमें कुलपति बीके कुठियाला के मामले की जांच की। यदि EOW के अधिकारी भी आर्थिक अपराध नहीं पकड़ेंगे तो इस संस्था की जरूरत क्या है। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया bhopal news पर क्लिक करें।