IPC 1860 section 279 and Motor Vehicles Act, 1988 section 183
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 279 यह स्पष्ट करती है कि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक मार्ग पर शासन द्वारा निर्धारित गति सीमा का उल्लंघन करता है, तेज गति से वाहन चलाता है, जिससे किसी व्यक्ति को खतरा उत्पन्न होने मात्र की संभावना हो, तब वह व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा। अर्थात कोई भी व्यक्ति किसी भी वाहन को सार्वजनिक सड़क पर तेज नहीं दौडा सकता है। अगर वह ऐसा करता है तब उसे अधिकतम छः माह की कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
हम कह सकते हैं की भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार यह एक गंभीर अपराध होता है पुलिस थाना अधिकारी ऐसे व्यक्ति पर उपर्युक्त धारा के अंतर्गत तुरंत FIR दर्ज करेगी। विशेष विधि अर्थात मोटर यान अधिनियम, 1988 के अनुसार भी ऐसे व्यक्ति को दण्डित किया जाता हैं पढ़िए।
मोटर यान अधिनियम,1988 की धारा 183 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
जो कोई व्यक्ति सरकार द्वारा बनाए गति-सीमा नियमों का उल्लंघन करता है अर्थात तेज गति से वाहन चलाता है तब :-
• हल्के वाहन होने पर अधिकतम दो हजार रुपये का जुर्माना।
• वाहन यात्रियों का हो, माल भरा हो तब अधिकतम चार हजार रुपए जुर्माना होगा।
【अगर कोई व्यक्ति दोबारा गति सीमा से अधिक वाहन चलाता है तब अधिनियम की धारा 183 की उपधारा (iii) के अनुसार मोटर यान लाइसेंस निरस्त या परिबद्ध कर लिया जाएगा।】
विशेष नोट:- भारतीय दण्ड संहिता एवं मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत सजा एवं दण्ड अलग-अलग होगा अर्थात IPC के अंतर्गत एक हजार रुपए का जुर्माना लगा है एवं मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत चार हजार का तब एक हजार एवं चार हजार कुल पाँच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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