हम सब जानते हैं कि सूरज एक आग का गोला है। पृथ्वी से 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर दूर होने के बावजूद सूरज की धूप से हमें गर्मी लगती है। पसीना आता है। ग्रीष्म ऋतु में कई बार हम अत्यधिक तापमान के कारण घर से बाहर नहीं निकल पाते, लेकिन क्या आप जानते हैं बादलों के गरजने से पैदा होने वाली बिजली में सूरज की तुलना में 5 गुना ज्यादा तापमान होता है।
बादल की बिजली का तापमान कितना होता है
फिजिक्स के टीचर आरआर अग्निहोत्री सर ने बताया कि सूरज की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। सूर्य की किरणें 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके जब पृथ्वी पर आती हैं तो यह तापमान बहुत कम रह जाता है। भारत के ज्यादातर शहरों का तापमान 24 से 40 डिग्री के आसपास होता है। लेकिन, बादलों के आपस में टकराने के बाद जो बिजली उत्पन्न होती है उसका तापमान 28000 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। यानी कि सूरज की गर्मी से 5 गुना अधिक।
क्या बादल की बिजली को स्टोर किया जा सकता है
वर्षों पहले तक हम विभिन्न जल स्रोतों से बिजली का उत्पादन करते थे। फिर कोयले से बिजली बनाने लगे। आजकल सौर ऊर्जा से बिजली बनाते हैं। हम जानते हैं कि इन सब की एक लिमिट है। सवाल यह है कि जब बादल की बिजली में सूरज की तुलना में 5 गुना अधिक तापमान होता है तो क्या उस बिजली को स्टोर किया जा सकता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि बिल्कुल किया जा सकता है लेकिन अभी तक दुनिया का कोई भी देश वह डिवाइस नहीं बना पाया जो बादलों के टकराने से अचानक पैदा होने वाली 28000 डिग्री सेंटीग्रेड वाली बिजली को स्टोर कर सके।
उम्मीद है भविष्य में ऐसा हो पाएगा और जिस दिन होगा बरसात के दिनों में बिजली के दाम बहुत कम हो जाएंगे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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