गर्मी से बचने के लिए क्या करें क्या ना करें, शासकीय स्वास्थ्य विभाग के उपाय, ध्यान से पढ़िए- Helth Care

Bhopal Samachar
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मध्यप्रदेश शासन
, स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्मी के दौरान आमजन को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। गर्मियों में तेज धूप में खेलने या बाहर रहने से बच्चे लू से प्रभावित हो सकते हैं। घर में तीव्र धूप को अंदर आने से रोकें, पर्याप्त तरल पदार्थो का सेवन करें, दिन में 12 बजे से 4 बजे तक बाहर जाने से बचें, धूप में नंगे पांव न चलें, धूप में बच्चों को गाड़ी में अकेला न छोड़े। 

बच्चों को लू लग जाए तो क्या करें

  • सावधानियों के बावजूद बच्चों की मांसपेशियों में जकडन, चिडचिडापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, उल्टी, शरीर का तापमान अत्यधिक बढऩा जैसे लू लगने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा के उपाय लाभदायी रहेंगे। बच्चे को तुरंत किसी कमरे के अंदर या छांव में लायें या बच्चे के कपड़ों को ढीला कर दें, बच्चे को सामान्य स्थिति में पैरों को थोड़ा सा ऊपर कर के लिटायें। बच्चे के शरीर को ठंडे पानी से पोंछें या बच्चे पर हल्का सा सामान्य पानी का छिडकाव करें। 
  • यदि बच्चा सुस्त या बेहोश है या उसे उल्टी आ रही है तो उसे तरल पदार्थ न पिलायें।
  • अगर मुॅह से हल्का-हल्का झाग निकले या बुदबुदाहट हो तो उसे साफ कपड़े से पोंछें, बच्चे की आंखों को साफ कपड़े से ढके, जीभ कटने से रोकने के लिये दांतो के बीच में एक साफ कपड़ा रखें। 
  • यदि बच्चा होश में है तो उसे एक चौथाई गिलास में एक चम्मच चीनी घोल कर/जूस/नींबू पानी/ओ.आर.एस. का घोल जैसे तरल पदार्थ दें। 

बच्चों को ORS का घोल कितनी मात्रा में देना चाहिए

  • प्रत्येक चार घंटे पर ओ.आर.एस. के घोल की दी जाने वाली मात्रा इस प्रकार है- 
  • छ: माह से एक वर्ष दो से तीन गिलास, 
  • एक से दो साल तीन से चार गिलास एवं 
  • दो से पांच साल चार से छ: गिलास। 
  • बच्चे को आगामी उपचार हेतु जल्द से जल्द नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जायें।

वयस्कों और बुजुर्गों में लू के लक्षण

गर्म लाल और सूखी त्वचा, बहुत तेज सिरदर्द या टीस के साथ सिरदर्द होना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, सिर हल्का महसूस होना, सांस फूलना या दिल की धडक़न तेज होना, उल्टी होना, जी मचलाना, मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, शरीर का तापमान 104 डिग्री फेरेनहाइट होना, घबराहट, चक्कर आना और बेहोशी आना, दिमागी भ्रम की स्थिति, झटके आना, तेज उथली सांसे चलना ऐसी स्थिति में तुरंत पानी का सेवन करें, किसी छायादार एवं ठंडी जगह पर आराम करें, अगर हो सके तो ठंडे पानी से नहा लें। तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करें या एम्बुलेंस को कॉल करें। 

गर्मी के मौसम में लू से बचने के उपाय

  • शरीर को पानी की कमी से बचायें, पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। 
  • अनावश्यक तेज धूप में न निकलें, धूप में निकलना जरूरी हो तो तौलिया, गमछा, स्कार्फ से सर तथा चेहरे को ढक कर रखें, केप, धूप का चश्मा एवं छतरी का प्रयोग अवश्य करें। 
  • धूप में निकलने से पहले एक से दो ग्लास एवं दिन भर में तीन से चार लीटर पानी अवश्य पियें। 
  • ओ.आर.एस. का घोल, साधारण पानी, नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी, फलों के रस का सेवन गर्मियों में लाभदायी है। 
  • घर में बने पेय जैसे -नींबू पानी, छाछ, मठा, लस्सी, फलों का रस आदि में नमक डालकर सेवन करें। 
  • घर से बाहर निकलते समय एवं यात्रा के लिये पानी साथ रखें। ऐसे फल व सब्जियों का सेवन करें जिनमें पर्याप्त मात्रा में पानी होता है जैसे तरबूज, खरबूज, संतरा, अंगूर, ककड़ी आदि। 
  • शरीर को ढांक कर रखें- पतले, ढीले एवं हल्के रंग के सूती वस्त्रों को पहनें। 
  • बाहर जाते समय जूते, चप्पल, सैंडल पहनें। 
  • बुखार या लू लगने पर जल्द से जल्द नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में सम्पर्क करें एवं आवश्यक उपचार लें।

गर्मी में लू और नौतपा से घर को बचाने के लिए क्या करें

  • कमरे ठंडे एवं हवादार हों। सीधी धूप एवं हीट वेव से बचाव के लिए दिन में पर्दे डाल कर रखें, विशेषकर घर के उन स्थानों पर जहाँ धूप आती है। 
  • शाम एवं रात को ठंडी हवा आने के लिए पर्दे खोल दें। 
  • घर में ठंडी जगह पर पीने का पानी संग्रहित करें। 
  • तेज गर्मी, और नौतपा की स्थिति में फ्रिज का ठंडा पानी पीने से बचें।
  • गर्भवती महिलाऐं, बीमार एवं बुजुर्ग अपना विशेष ख्याल रखें। 
  • बासी भोजन का सेवन न करें। 
  • शराब, चाय, काफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स या अत्याधिक शक्कर वाले पेय न पियें।
  • बुजुर्ग और बच्चे गर्मी से ज्यादा प्रभावित होते हैं, उन्हें घर बैठे बिना श्रम किये भी लू लग सकती है, उनका शरीर तेजी से बढ़ते तापमान को सह नहीं पाता। 
  • अधिक तापमान से बचने हेतु यह जरूरी है कि वे हल्के रंग के आराम दायक कपड़े पहने। 

गर्मी में यदि तापमान 40 डिग्री से अधिक हो तो क्या करें

गर्मी में जब तापमान 40 डिग्री पार करने लगे तब हम सभी कम लागत वाले शीतलन के आसान तरीके अपना सकते हैं जैसे- सोलर रिफ्लेक्टेड सफेद पेंट, वायु रोशनी संचार, क्रॉस वेंटीलेशन, ठंडी छत तकनीक, छत पर घास की गठरी रखना, छेद वाली ईटों का प्रयोग। अगर आप नई इमारत बना रहे हैं तो सादी दीवार की जगह केविटी दीवार रखें, रंग रोगन के लिये चूना या मिट्टी जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें, कांच का इस्तेमाल कम करें। घरों के आस-पास लता वाली हरी दीवारें, घने पेड़ एवं इंडोर पौधे गर्मी को मार देते हैं। अमल करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। स्वास्थ्य से संबंधित समाचार एवं जानकारियों के लिए कृपया Health Update पर क्लिक करें.
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