आज उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर चुनाव के भी परिणाम आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जिस तरह से वापसी की है वह असल में जनता की समाजवादी पार्टी के प्रति नाराज़गी और बसपा के व्यक्ति केंद्रित पार्टी बन जाने का नतीजा है।
लेकिन आज यहां उस पार्टी की बात करना उचित होगा जिसकी शुरुआत 2011 में एक आंदोलन के रुप में हुई थी। उस समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आंदोलन से निकलने वाला एक दल पंजाब जैसे प्रदेश में अन्य राजनीतिक दलों का सूपड़ा साफ कर देगा। आम आदमी पार्टी की 10 साल की सफलता का राज असल में जनता के मन में पुराने दलों के प्रति उदासीनता का भी परिणाम है।
आम आदमी पार्टी का चुनावी उम्मीदवार बनना भी आसान नहीं है। उसके लिए आपको यह सिद्ध करना ही होगा कि जीतने के बाद आप भ्रष्टाचार नहीं करेंगे इसलिए इनके अधिकतर उम्मीदवार सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देने वाले रहते हैं जो यह संदेश फैलाते हैं कि यदि पैसे ही कमाने थे तो नौकरी से ही मिल जाते।
दूसरा इनकी सफलता का एक कारण यह भी है कि ये अपनी विरोधी पार्टी के सबसे पापुलर व्यक्ति के खिलाफ चुनाव में दुष्प्रचार नहीं करते हैं बल्कि वे विरोधी के सबसे भ्रष्ट व्यक्ति को अपने प्रचार के केंद्र में रखते हैं।
पंजाब के बाद आम आदमी पार्टी का अगला निशाना मध्यप्रदेश ही होगा और कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि मध्यप्रदेश के अनेक सरकारी नौकरी प्राप्त व्यक्ति स्वयं अथवा अपने परिवारजनों को आम आदमी पार्टी की सदस्यता दिलवा दें। भारत की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया INDIA NATIONAL NEWS पर क्लिक करें.