MP TET VARG 3: जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

Factors Affecting the Jean Piaget's Cognitive Development

जैसा कि हम जानते हैं कि जीन प्याजे ने बहुत से क्षेत्रों में काम किया। उन्हें स्विस साइकोलॉजिस्ट, बायोलॉजिस्ट,संरचनावादी (Rediacl Contructivist), ज्ञान मीमांसा (Jean Episteomology) ,फादर ऑफ़ चाइल्ड साइकोलॉजी आदि के लिए जाना जाता है। जीन पियाजे ने कहा कि बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं कर सकते हैं इसीलिए उन्होंने बच्चों को नन्हे वैज्ञानिक या लिटिल साइंटिस्ट भी कहा। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट एक असतत् (Discontinuous) प्रोसेस है और Child Development की Stages के हिसाब से बच्चे का विकास होता है। 

जीन पियाजे के संरचनात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक / Factors Affecting the Jean Piaget's Cognitive Development Theory
1.जैविक परिपक्वता  या बायोलॉजिकल मैचुरेशन( Biological Maturation) 
2. भौतिक जगत के साथ अन्योन्य क्रिया( interaction with physical world) 
3. सामाजिक जगत के साथ  अन्योन्य क्रिया( interaction with social world) 
4. सभी के बीच संतुलन बनाना (Equilibrium Among All) 

1. जैविक परिपक्वता (Biological Maturation) इसके अनुसार जब तक बच्चा बायोलॉजिकली डिवेलप नहीं हो जाता, तब तक आप उसे कुछ भी नहीं सिखा सकते। बच्चे को सिखाने के लिए पाठ्यक्रम (Syllabus) उसकी उम्र के हिसाब से ही होना चाहिए। जब जिस चीज को सीखने की उसकी उम्र होगी वह तभी सीखेगा और इसमें "Readiness to Learn"  का होना जरूरी है। यानी जब तक बच्चा सीखने के लिए तैयार नहीं है तब तक आप उसे कुछ भी नहीं सिखा सकते। इसलिए सिलेबस का, टेक्स्टबुक्स का, हर चीज का इंटरेस्टिंग होना जरूरी है। तभी बच्चा सीखेगा। 

2. भौतिक जगत के साथ अन्योन्य क्रिया (interaction with the physical world) 

बच्चा अपने आसपास की चीजों को देखकर, छूकर, खोलकर यहाँ तक की तोड़कर उनसे अपनी समझ बनाने की कोशिश करता है और धीरे-धीरे वह अपनी एक्टिविटी या एक्सपीरियंस से अपने ज्ञान का निर्माण करता है। 
पर्यावरण शिक्षण शास्त्र( Evs pedagogy) में इसे हैंड्स ऑन एक्टिविटी (learning by activity or Experiment) कहा जाता है। जबकि हम आम तौर पर चीजों को तोड़ने पर बच्चे को डांट देते हैं और उसे अपने physical World को explore करने से रोक देते हैं।

3. सामाजिक जगत के साथ अन्योन्यक्रिया (interaction with social world) 

जीन पियाजे ने इसे कम महत्व दिया जबकि वाइगोत्सकी ने इस पर ज्यादा जोर दिया है। इसलिए हम इसकी चर्चा वाइगोत्सकी की थ्योरी में डिटेल में करेंगे। 

4. सभी के बीच संतुलन बनाना (Equilibrium Among All) - 

यह जीन पियाजे की थ्योरी का सबसे महत्वपूर्ण कारक है जिसमें एक बच्चा अपने द्वंद से निष्कर्ष की ओर पहुंच जाता है। यानी अपने ज्ञान का निर्माण कर लेता है, जिसके लिए एक लंबी प्रोसेस से गुजारना पड़ता है। जिसमें एडेप्टेशन, ऑर्गेनाइजेशन, अकोमोडेशन, एसिमिलेशन,   एक्विलिब्रियम, डिसएक्विलिब्रियम, आदि हैं। जिनकी चर्चा डिटेल में हम आगे के आर्टिकल में करेंगे।
मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.

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