GWALIOR हाईकोर्ट ने भोपाल के हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की जांच के आदेश दिए

ग्वालियर
। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने भोपाल में कार्यरत हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की भूमिका की जांच करने के आदेश दिए हैं। दरअसल, एक प्रकरण में हाई कोर्ट द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद हैंडराईटिंग एक्सपर्ट द्वारा अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश नहीं की जा रही है। 

ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी आदेशों के पालन के इच्छुक नहीं हैं या फिर किसी मकसद से जांच को रोका जा रहा है। बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी हैंडराइटिंग एक्सपर्ट अपनी रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। इसलिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की भूमिका की जांच की जाए। महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी से इस मामले की जांच कराई जाए। कोर्ट ने यह आदेश पुलिस महानिदेशक को दिए हैं, जिन्हें पूरे मामले पर कार्रवाई करनी है। सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।

हाईकोर्ट ने 1 महीने का समय दिया लेकिन हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट नहीं आई

जेल में बंद एक आरोपी राम प्रसाद जाटव ने दूसरी बार हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। उसकी ओर से तर्क दिया गया कि 24 सितंबर 2021 को उसकी पहली याचिका खारिज की गई थी, जिसमें स्वतंत्रता दी गई थी कि यदि उसके मामले में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट एक माह में प्रस्तुत नहीं होती है तो वह फिर से अपना जमानत आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट का समय निकल गया, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। 

शासन ने कहा आरक्षक भी जाए थोड़ा समय दे दीजिए

दूसरी बार याचिका प्रस्तुत होने पर हाईकोर्ट ने आठ नवंबर 2021 को फिर आदेश दिए थे कि वह इस मामले में हैंडराईटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट पेश करें। इस पर शासन की ओर से कहा गया कि रिपोर्ट तैयार है। रिपोर्ट लेने के लिए एक आरक्षक को भेजा गया है, इसलिए कुछ और समय दिया। कोर्ट ने 22 नवंबर तक का समय दिया।

8 नवंबर से 22 नवंबर तक आरक्षक को भोपाल में रहना बताया

22 नवंबर 2021 को मामला सुनवाई में आने पर शासन की ओर से कहा गया कि आरक्षक अभी भोपाल में ही हैं, उन्हें हैंडराइटिंग रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। कुल मिलाकर ग्वालियर पुलिस ने हाई कोर्ट के सामने स्पष्ट किया कि हैंडराईटिंग एक्सपर्ट की तरफ से रिपोर्ट नहीं दी जा रही है।

हाई कोर्ट एक्सपर्ट ने कहा- हमने रिपोर्ट तैयार होने की सूचना नहीं दी थी

कोर्ट का आदेश जारी होने के बाद राज्य परीक्षक प्रश्नास्पद प्रलेख भोपाल ने एक पत्र भेज दिया। इस पत्र में लिखा गया कि उन्हें दस्तावेज 19 अगस्त 2021 को जांच के लिए मिले थे। चूंकि वर्तमान में 2019 के प्रकरणों का परीक्षण किया जा रहा है। दस्तावेजों की जांच जल्दी करने के पत्र के बाद उन्हें 16 नवंबर 2021 को जांच में लिया गया। 24 नवंबर 21 को जांच रिपोर्ट आरक्षक को सौंप दी गई। पत्र में यह भी कहा गया कि उनके कार्यालय ने 16 नवंबर 2021 से पूर्व अभिमत तैयार होने की जानकारी कभी नहीं दी थी। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !