INDORE NEWS- एक और क्लर्क करोड़पति निकला, EOW ने छापा मारा

Bhopal Samachar
इंदौर
। मध्यप्रदेश में करोड़पतियों की कमी नहीं है। मध्य प्रदेश शासन के तृतीय श्रेणी के कई कर्मचारी करोड़ों की संपत्ति के स्वामी बने हुए हैं। EOW के पास स्टाफ की कमी है नहीं तो हर रोज दर्जनों छापे पड़ रहे होते। आज इंदौर में नगर निगम के एक क्लर्क राजकुमार सालवी के यहां छापामार कार्रवाई की गई।

क्लर्क राजकुमार सालवी का घर एयरपोर्ट रोड स्थित अंबिकापुरी में है। कार्रवाई के दौरान राजकुमार के यहां से तीन प्लॉट और सीता कॉलोनी में एक फ्लैट के दस्तावेज मिले हैं। कार, 3 बाइक और बैंक खातों की जानकारी भी मिली है। DSP अजय जैन के अनुसार अब तक की जांच में क्लर्क की 1 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी सामने आई है। अंबिकापुरी में ही एक और मकान (यह किराए पर दे रखा है), पड़ोस में ही एक प्लॉट होने की भी जानकारी लगी है। मोहता बाग की एक बिल्डिंग में भी दो फ्लैट होने का पता चला है। 

राजकुमार ने 1997 में निगम में अस्थायी मस्टरकर्मी के तौर पर ड्यूटी जॉइन की थी। 19 साल बाद 2016 में वह परमानेंट होकर क्लर्क हो गया। 1997 से लेकर अब तक उसकी आय 26 लाख से कुछ ही ज्यादा बनती है, लेकिन प्रॉपर्टी करोड़ों की है।

बेटे और पत्नी के नाम से फर्म

राजकुमार ने ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए सबसे पहले बेटे ईशान और पत्नी किरण के नाम पर ईशान-किरण नाम से फर्म डाली। इसमें उसने निगम की ठेकेदारी का लाइसेंस लिया था। फर्म नोटबंदी के बाद बंद कर दी गई। जानकारी निगम के बड़े अफसरों को भी थी, लेकिन राजकुमार के पास अधिकतर पैसा कुछ अफसरों का ही जमा रहता था। इस कारण वह बड़ी कार्रवाई से बच गया। ऐसा पता चला है कि काली कमाई में उसने जीजा और साले को भी साझेदार बना रखा है। EOW के अफसर इस मामले में जांच कर रहे हैं। 

घर से ठेकेदारों के बिल, नक्शे, फाइल मिलीं

EOW की टीम ने राजकुमार के घर से कई ठेकेदारों के बिल, नक्शे और फाइल बरामद की हैं। राजकुमार इन्हें घर में क्यों रखे हुआ था? इस मामले में भी उससे पूछताछ की जा रही है। बेटी नेहा, बेटे ईशान और पत्नी किरण के भी बैंक खाते और FD की जानकारी EOW के अधिकारियों को लगी है। इसके साथ ही लाखों रुपए का सोना भी राजकुमार के घर से मिला है। 

नौकरी को लेकर दस्तावेजों में हेरफेर

ऐसी जानकारी मिली है कि 1997 में राजकुमार की नौकरी बियाबानी के कंजर मोहल्ले में रहने वाले क्षेत्रीय पार्षद ने अस्थायी मस्टरकर्मी के पद पर लगवाई थी। निगम में गहरी पेठ बनाने के बाद राजकुमार ने यहां दस्तावेजों में हेरफेर की और अपनी नौकरी 1993 से लगे होने की जानकारी दी। इसके बाद वह 2016 में स्थायी हो गया। उसके साथ में मस्टरकर्मी पर लगे अन्य लोग अभी भी अस्थायी हैं। EOW इस बात की भी पुष्टि कर रही है।
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