MADHYA PRADESH में ज्वालामुखी के पत्थरों से बने दो मंदिर, चौसठ योगिनी और लालगवां महादेव - SPIRITUAL TOURIST PLACE

प्राचीन मंदिरों में वास्तु कला के दुर्लभ दर्शन तो भारत में कई जगह हो जाते हैं परंतु क्या आपने कभी ज्वालामुखी के पत्थरों से बने हुए भवनों को देखा है। या फिर प्रश्न यह भी हो सकता है कि क्या आपने कभी ज्वालामुखी के पत्थर देखें। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो में ज्वालामुखी के पत्थरों से बने हुए दो मंदिर स्थित हैं।

चौंसठ योगिनी मंदिर ज्वालामुखी के पत्थरों से निर्मित भवन

चौंसठ योगिनी मंदिर खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है। यह मंदिर ज्वालामुखी के पत्थरों से बना हुआ है। वर्तमान में मंदिर खंडित अवस्था में है। चौंसठ योगिनी मंदिर समूह के ज्यादातर मंदिर अब नष्ट हो गए हैं। किसी भी मंदिर में प्राचीन एवं पवित्र मूर्तियां नहीं बची है लेकिन मंदिर क्षेत्र में उर्जा आज भी मौजूद है। यदि आप चौंसठ योगिनी मंदिर क्षेत्र में माता का ध्यान लगाएंगे तो आपको अनुभव होगा।

लालगवां महादेव मंदिर: ज्वालामुखी के पत्थरों से बना देश का एकमात्र शिव मंदिर

Lalgwan Mahadev Temple Khajuraho पश्चिमी मंदिर समूह का एक मंदिर है और यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भी ज्वालामुखी के पत्थरों से बना हुआ मंदिर है। यह मंदिर खजुराहो शहर से थोड़ा दूर है। शिव भक्तों को थोड़ी पदयात्रा भी करनी पड़ती है। प्रमाणित नहीं है परंतु माना जाता है कि लालगवां महादेव मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जो ज्वालामुखी के पत्थरों से बना है। 

ज्वालामुखी के पत्थर क्या होते हैं 

ज्वालामुखी से निकला लावा ठंडा होकर चट्टान के रूप में बदल जाता है। इन्हें तकनीकी भाषा में बहिर्भेदी आग्नेय चट्टानें भी कहा जाता है। प्रमुख उदाहरण हैं बेसाल्ट और रायोलाइट। आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि राजस्थान का जोधपुर शहर ज्वालामुखी के ऊपर बना है। इस इलाके में रायोलाइट चट्टाने आज भी मिल जाती है।

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