PDRT के बावजूद सरकार ने कर्मचारियों-पेंशनरों को DA-DR नहीं दिया - MP EMPLOYEE NEWS

भोपाल
। मप्र शासन के अदूरदर्शी फैसले से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों पेंशनरों को डीए डीआर से खाली हाथ रखा गया है। मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय कल्याण समिति के प्रांताध्यक्ष उदित सिंह भदौरिया संयोजक श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय महामंत्री कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि प्रदेश में कोविड-19 के चलते जुलाई 2019 से मूल्यसूचकांक आधारित डीए डीआर पांच फीसदी आदेश के बावजूद स्थगित किया गया था। 

केंद्र सरकार ने 14 राज्यों को डीए डीआर, एरियर भुगतान से उत्पन्न राजस्व घाटे की भरपाई के लिए अनुच्छेद 275 के तहत 6194 करोड़ "पोस्ट डिवैल्यूएशन रैवेन्यू डेफिसिट" (पीडीआरटी) अनुदान से की है। विडम्बना देखिये इसमें मप्र शामिल नहीं है। कर्मचारियों पेंशनरों को डीए डीआर भुगतान किया जाता तो केंद्रीय कोष से उसकी भरपाई की व्यवस्था विद्यमान है। मप्र शासन की अदूरदर्शिता का खामियाजा प्रदेश के लाखों कर्मचारियों पेंशनरों को भुगतना पड़ रहा है।

वर्तमान व्यवस्था में दुधारी तलवार से कर्मचारियों को मार सहना पड़ रही है। एक तो आग झरती चौतरफा कमर तोड़ महंगाई, दूसरी आर्थिक स्वत्वों के भुगतान में अनावश्यक विलंब। मप्र सरकार से आग्रह है कि कर्मचारियों पेंशनरों को "पीडीआरटी" के तहत केंद्रीय अनुदान व्यवस्था का समुचित उपयोग कर देय डीए डीआर एरियर के भुगतान की व्यवस्था की जावे। आश्चर्य है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को तो प्रदेश सरकार द्वारा सत्रह व राज्य कर्मचारियों को  बारह फीसदी डीए का भुगतान कर भेदभाव किया जा रहा है, इसे समाप्त करना न्यायसंगत होगा। 

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