BHOPAL में लॉकडाउन के बावजूद सरकारी स्कूल खुला, क्लास चली, DEO को पता ही नहीं

Bhopal Samachar
भोपाल
। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर में 31 मार्च तक के लिए सभी प्रकार के सरकारी व प्राइवेट स्कूल और कॉलेज लॉक डाउन करने की घोषणा की है। भोपाल कलेक्टर ने धारा 144 के तहत आदेश भी जारी कर दिए हैं। बावजूद इसके भोपाल में जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के पास शासकीय नवीन कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल ना केवल खोला गया बल्कि लड़कियों को बुलाकर कक्षा भी संचालित की गई। 

छात्राओं ने कहा 11:00 बजे बुलाया था

नवीन कन्या स्कूल में सोमवार को 10वीं और 12वीं कक्षाओं की छात्राओं को कक्षाएं लगाने के लिए बुलाया गया था। छात्राओं ने बताया कि उनको 11 बजे बुलाया गया था। सोमवार दोपहर 12 बजे छात्राएं कक्षाओं के बाहर बरामदे में खड़ी नजर आई। यहां पर कुछ छात्राओं ने मास्क भी नहीं पहना हुआ था। सोशल डिस्टेसिंग के नियमों का भी पालन नहीं होता दिखा। छात्राएं एक दूसरे के पास ही खड़ी नजर आई।

हमने किसी को नहीं बुलाया, लड़कियां अपने आप आईं: प्राचार्य वंदना शुक्ला

नवीन कन्या स्कूल तुलसी नगर की प्राचार्या वंदना शुक्ला का कहना है कि स्कूल बंद होने के संबंध में जानकारी है। हमने बाहरी छात्राओं को स्कूल नहीं बुलाया। हॉस्टल में रहने वाली छात्राएं शिक्षकों से मार्गदर्शन चाहती है। इसलिए उनको स्कूल बुलाया। वह पढ़ाई करने के लिए हॉस्टल में रूकी है। स्कूल में कोविड प्रावधानों का पूरा पालन किया जा रहा है। हॉस्टल में छोटे छोटे कमरे है। स्कूल में स्पेश ज्यादा होने से सोशल डिस्टेंसिंग का अच्छे से पालन किया जा सकता है। कक्षाओं को सेनिटाइज किया जा रहा था। इसलिए बच्चे बाहर बरामदे में खड़े थे। 

DEO को कोई खबर ही नहीं, स्कूल का ताला कैसे खुल गया

किसी भी डिपार्टमेंट के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने डिपार्टमेंट में चलने वाली गतिविधियों की पूरी जानकारी रखे। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्कूल लॉक डाउन करने के आदेश दिए हैं तब जिला शिक्षा अधिकारी की ड्यूटी है कि वह सुनिश्चित करें किस जिले में कोई भी स्कूल संचालित ना किया जाए। इस मामले में डीईओ नितिन सक्सेना का बयान आया है कि 'उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है,इसके बारे में पता करना पड़ेगा।' जिला शिक्षा अधिकारी का यह बयान उनकी कर्तव्य के प्रति लापरवाही को प्रमाणित करता है। कोरोनावायरस महामारी के मामले में इस तरह की लापरवाही किसी भी अधिकारी को पद के अयोग्य प्रमाणित करने के लिए काफी है।

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