जबलपुर। मध्यप्रदेश में जिन कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाई जाती है उन्हें कलेक्टर (जो कि जिला निर्वाचन अधिकारी भी होता है) सीधे सस्पेंड कर सकते हैं या नहीं, इस सवाल का जवाब आना बाकी है परंतु हाईकोर्ट ने यह माना है कि कलेक्टर सीधे सस्पेंड नहीं कर सकते इसलिए याचिकाकर्ता कर्मचारी के निलंबन पर रोक लगा दी गई है।
चुनाव कार्य में लापरवाही के कारण कलेक्टर ने कर्मचारी को सस्पेंड किया था
कलेक्टर के निलंबन आदेश पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी ने रोक लगाई है। इसके साथ ही कलेक्टर को यह विकल्प दिया है कि वह चाहे तो याचिकाकर्ता कर्मचारी को चुनाव ड्यूटी से अलग कर सकते हैं। मामला नगर पालिका परिषद में पदस्थ एक कर्मचारी को सस्पेंड किए जाने का है। कलेक्टर ने कर्मचारी की ड्यूटी वोटर आईडी कार्ड में मतदाताओं के फोटो दुरुस्त करने के लिए लगाई थी। निर्धारित समय पर काम पूरा ना होने के कारण कलेक्टर ने उसे सस्पेंड कर दिया।
कलेक्टर के निलंबन आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई।याचिका में बताया गया कि कलेक्टर ने उन्हें मूल काम के अलावा विधानसभा के एक मतदान केंद्र में मतदाताओं के फोटो दुरुस्त करने का काम सौंपा था। मूल काम में व्यस्तता के कारण कलेक्टर द्वारा दिया गया अतिरिक्त कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाया। इसी बात से नाराज होकर कलेक्टर ने उन्हें सस्पेंड कर दिया।
याचिका में दावा किया गया कि निर्वाचन कार्य के लिए जिस कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाती है, उसकी सेवाएं निर्वाचन आयोग के अधीन हो जाती है। चुनाव आयोग की अनुमति लिए बिना कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी किसी भी कर्मचारी को सस्पेंड नहीं कर सकते। कलेक्टर के पास यह अधिकार नहीं है। इस मामले में कलेक्टर ने चुनाव आयोग की अनुमति के बिना कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया।