MP BOARD: 10वीं-12वीं की परीक्षा के संबंध में राधेश्याम जुलानिया के बड़े फैसले - MP NEWS

भोपाल
। माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्यप्रदेश ने हायर सेकेंडरी परीक्षा के मामले में एक बड़ा डिसीजन लेते हुए घोषित किया है कि 12वीं की कक्षा में प्रवेश लेने के लिए आयु सीमा का कोई बंधन नहीं होगा। यदि आप दसवीं पास है तो किसी भी उम्र में 12 वीं में प्रवेश ले सकते हैं। 

एमपी बोर्ड साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित करेगा

यही नहीं Madhya Pradesh Board of Secondary Education भी अब राज्य ओपन स्कूल की तरह दो बार परीक्षाएं लेगा। इससे विद्यार्थी कभी भी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। एमपी बोर्ड के चेयरमैन राधेश्याम जुलानिया ने बुधवार को मॉडरेटर समिति की बैठक में यह निर्णय लिया है। मंडल ने इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अगर शासन से अनुमति मिलती है तो इस सत्र से ही इसे लागू कर दिया जाएगा। इस निर्णय के बाद अब कोई भी विद्यार्थी किसी भी उम्र में परीक्षा दे सकता है।

आधे पेपर पहले और आधे पेपर 3 महीने बाद दे सकते हैं

बता दें कि दसवीं में भी इसी पैटर्न पर परीक्षाएं लेने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह अगले सत्र से लागू हो सकता है। अभी तक नियमित विद्यार्थी 16 से 18 वर्ष में दसवीं और 18 से 20 वर्ष में बारहवीं की परीक्षाएं देते आए हैं। इसके अलावा बैठक में एक निर्णय और लिया गया। इसमें तय हुआ कि बोर्ड परीक्षा के तीन माह बाद दोबारा परीक्षा होगी। विद्यार्थी चाहें तो आधे विषय अभी तो आधे की परीक्षाएं बाद में दे सकते हैं। ज्ञात हो कि हर साल मंडल से भी करीब एक से डेढ़ लाख विद्यार्थी प्राइवेट से परीक्षा देते हैं। वहीं राज्य ओपन स्कूल की दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में 18 से अधिक उम्र के करीब 60 से 70 हजार विद्यार्थी शामिल होते हैं।

दो बार में भी परीक्षाएं दे सकते हैं विद्यार्थी

अब विद्यार्थी दो बार में आधे-आधे विषयों की परीक्षा दे सकता है। अगर मार्च में होने वाली परीक्षा में तीन विषयों की परीक्षा देगा तो तीन माह बाद बचे हुए विषयों की परीक्षा दे सकता है। मंडल दोनों परीक्षा को मिलाकर रिजल्ट तैयार कर देगा। इससे विद्यार्थियों को यह फायदा होगा कि वे आधे-आधे विषयों की तैयारी कर परीक्षा दे सकता है।

श्रेणी सुधार वाले विद्यार्थियों को फायदा

अब श्रेणी सुधार के लिए विद्यार्थियों को अगले साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वह उसी साल दोबारा होने वाली परीक्षा में शामिल हो सकता है। अगर पहली परीक्षा में विद्यार्थी का रिजल्ट अच्छा नहीं रहा तो तीन माह बाद मंडल की होने वाली परीक्षा में बैठकर श्रेणी सुधार सकता है।

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