भोपाल। मध्यप्रदेश में पदस्थ भारतीय पुलिस सेवा के तीन वरिष्ठ अधिकारी सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी. मधुकुमार एवं मध्यप्रदेश राज्य पुलिस के अधिकारी अरुण मिश्रा के खिलाफ भारत निर्वाचन आयोग ने FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने अपनी जांच में उपरोक्त चारों को लोकसभा चुनाव से पहले अवैध धन का हवाला करना पाया है। उस समय कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उपरोक्त अधिकारी कमलनाथ के काफी नजदीकी माने जाते हैं।
आईपीएस अफसर सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी. मधुकुमार के खिलाफ FIR
सूत्रों के मुताबिक सीनियर आईपीएस अफसर सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी. मधुकुमार व राज्य पुलिस सेवा के अरुण मिश्रा के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज होगी। इसके बाद जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे कुछ और वीआईपी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज होंगे। इस गड़बड़ी में महिला बाल विकास विभाग का नाम भी आ रहा है। जिसकी मंत्री श्रीमती इमरती देवी जी।
कमलनाथ के नजदीकी लोगों के यहां आयकर के छापे पड़े थे
कमलनाथ सरकार के दौरान उनके सलाहकार रहे राजेंद्र मिगलानी, रिश्तेदार रतुल पुरी की कंपनी मोजर बियर के लोगों, ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोबारी ललित कुमार छजलानी, कांट्रेक्टर अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी व हिमांशु शर्मा के यहां छापा पड़ा था। इस दौरान बड़ी मात्रा में लेन-देन के दस्तावेज, 93 करोड़ के ट्रांजेक्शन और चार करोड़ रुपए की बरामदगी हुई थी।
हवाला का पैसा मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों की गाड़ियों में गया था
छापे में कांग्रेस मुख्यालय को भी 20 करोड़ रुपए भेजने के दस्तावेज मिले थे। दस्तावेजों में प्रदेश के कई तत्कालीन मंत्रियों, विधायकों और लोकसभा उम्मीदवारों के साथ लेन-देन का भी उल्लेख था। इस बात के भी दस्तावेज मिले कि अफसरों के जरिए परिवहन, महिला एवं बाल विकास, खनिज, पीडब्ल्यूडी, नगरीय विकास जैसे विभागों में लेन-देन हुआ। सूत्रों के मुताबिक कुछ पुलिस अधिकारियों ने तो अपनी गाड़ी में पैसा का मूवमेंट किया।
राजनेताओं व अफसरों ने सिंडिकेट की तरह अवैध धन का लेनदेन किया
आयोग की रिपोर्ट मप्र के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के पास पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक आयोग ने CBDT के हवाले से कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में अघोषित धन का ट्रांजेक्शन हुआ। तब राजनीतिक दल के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ी रकम एकत्र की। छापों में मिले दस्तावेज व सबूतों के आधार पर प्रथम दृष्टया यह दिखता है कि राजनेताओं व कुछ अफसरों ने सिंडीकेट की तरह अवैध नगदी जुटाकर लेन-देन किया।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास डेढ़ महीने से फाइल पड़ी थी
चुनाव आयोग ने 28 अक्टूबर 2020 को मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को CBDT की रिपोर्ट के साथ पत्र भेजा था ताकि छापों में आए नामों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराए। यह भी कहा था कि EOW में FIR दर्ज हो। तब से यह रिपोर्ट पड़ी हुई है। अप्रैल 2019 में भोपाल, मप्र और दिल्ली के 52 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था।
ईडी भी करेगी जांच
प्रदेश सरकार EOW में FIR दर्ज करती है तो इसके कुछ दिनों बाद ही केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री हो जाएगी। यह मामला बड़े पैमाने पर नगदी के लेन-देन और ट्रांजेक्शन का है। यह भी संभावना है कि ED के साथ CBI भी भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए सामने आएगी।
छापे में इन विभागों-कंपनियों के नाम
पीडब्ल्यूडी, शिवा काॅर्पोरेशन, मोंटाना, डिजियाना, कार्निवल ग्रुप, नगरीय विकास, सिंचाई, महिला एवं बाल विकास (पोषण आहार) और परिवहन।