INDORE वन विभाग में सैनिटाइजर खरीदी घोटाला, तेंदूपत्ता मजदूरों के पैसे से सैनिटाइजर खरीदा - MP NEWS

इंदौर।
कोरोनावायरस संक्रमण काल में सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तु में शामिल किया गया है। प्रोटोकॉल के अनुसार सभी सरकारी कार्यालयों में सैनिटाइजर उपलब्ध होना अनिवार्य है इसी का फायदा उठाते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने सैनिटाइजर की मनमानी खरीदी कर डाली। सैनिटाइजर का पेमेंट प्राथमिक चिकित्सा या स्टेशनरी आदि की मद से किया जाना चाहिए था, परंतु इंदौर में तेंदूपत्ता मजदूरों के लिए पैसे से अधिकारियों के लिए सैनिटाइजर खरीदा गया।

संक्रमण से बचाने के लिए अप्रैल से विभाग सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहा है। पर्यावरण शाखा को इसकी जिम्मेदारी दी गई। महीनेभर में 100 लीटर से ज्यादा सैनिटाइजर खरीदा जाने लगा। हजारों रुपए में बिल-वाउचर लगाए गए। विभाग ने इसका कोई बजट आवंटित नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक भुगतान के लिए व्यय शाखा ने तेंदू पत्ता में आया बजट इस्तेमाल कर दिया। कुछ महीनों तक बराबर बिल पास किए गए। 

मामले में युवक कांग्रेस के अभिजीत पांडे ने वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत कर दी। अक्टूबर में पांडे ने बिल-वाउचर की जानकारी मांगी, लेकिन विभाग ने देने से इनकार कर दिया। नवंबर में व्यय शाखा ने सैनिटाइजर के बिल रोक दिए हैं। वन संरक्षक किरन बिसेन का कहना है कि सैनिटाइजर के लिए बजट की दिक्कतें हैं। इसके चलते कुछ बिल-वाउचर का भुगतान नहीं किया है।

वन विभाग के अधिकारी तेंदूपत्ता का पैसा कहीं भी खर्च कर देते हैं

विभाग को एकमात्र तेंदू पत्ता में नियमित बजट आवंटित होता है। नियमानुसार जिस कार्य के लिए पैसा मिलता है। केवल उसे जुड़े कामों पर राशि को खर्च किया जाना चाहिए। मगर ऐसा बिलकुल नहीं होता है। दूसरे कार्यों में पैसा नहीं होने पर विभाग इनके बिल तेंदू पत्ता बजट से पास कर देते हैं।
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