ग्वालियर। शहर में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वालों के साथ ही मरीजों के निवास वाले शहरों से वापस लौटेने वाले लोगों को कोरोना संदिग्ध मानते हुए प्रशासन द्वारा बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों में रुकवाया जा रहा है। ये सभी क्वारेंटाइन सेंटर किसी नर्क से कम नहीं है। न तो यहां शेल्टर रहने वालों के लिए मूलभूत सुविधाए उपलब्ध कराई गई है और साथ ही चाय नाश्ते तो दूर की बात है खाने में इन संदिग्धों को लंच-डिनर के नाम पर रेलवे स्टेशन पर बिक्री किया जाने वाला जनता खाना ही दिया जा रहा है। यह हाल शहर में प्रशासन द्वारा संचालित किए जाने वाले सभी क्वारेंटाइन सेंटरों का है।
पुरानी छावनी चौराहे के पास स्थित होटल राजमोहन पैलेस को जिला प्रशासन ने क्वारेंटाइन सेंटर बनाया है। इस क्वारेंटाइन सेंटर में दिल्ली से आने वाले लोगों को क्वारेंटाइन किया जा रहा है। दो दिन पहले दिल्ली से लौटे शहर के एक कारोबारी जिन्हें हॉट-स्पाट इलाके से शहर में आने पर राजमोहन पैलेस में क्वारेंटाइन किया गया था। कारोबारी विवेक कुमार (परिवर्तित नाम) ने बताया इस क्वारेंटाइन सेंटर दो दिन से ठहरा हुआ हूं। ठहरने के नाम पर सिर्फ रूम है। रूम में सभी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। किसी भी सेवा का उपयोग करने के एवज में पैसा मांगा जाता है। यहीं नहीं अव्यवस्थाएं ऐसी है कि न तो समय पर खाना मिलता है और न ही पीने को पानी मिल रहा है।
उपयोग के नाम दी जा रही है एक किट
कारोबारी विवेक कुमार ने बताया कि क्वारेंटाइन सेंटर में पहुंचने पर क्वारेंटाइन सेंटर से एक किट जिसमें दो छोटे डिटोल साबुन, एक मिनी दूथपेस्ट तीन दिन की अवधि के लिए दिया जाता है। इसके अलावा किसी भी प्रकार की सुविधा क्वारेंटाइन किए गए लोगों को दी जा रही है। तीन दिन से इस क्वारेंटाइन सेंटर में लगभग तीस लोगों को प्रशासन ने क्वारेंटाइन कर रखा गया है।
दो लोगों के बीच एक टॉबेल व एक बेड
क्वारेंटाइन सेंटरों में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां रहने वाले दो लोगो के बीच उपयोग करने के लिए एक ही टॉबेल दिया जा रहा है। साथ ही क्वारेंटाइन पीरियड के दौरान बेड भी दो लोगों में शेयर करना पड़ता है। टॉबेल व डिस्पोजल बेडशीट तीन दिनों के लिए एक बार ही उपयोग के लिए दी जाती है।