यदि पड़ौसी की पालतू बिल्ली दूध पी जाए, भूखे बच्चे की मौत हो जाए तो केस दर्ज होगा या नहीं / ABOUT IPC

कुछ लोगों को जानवर पालने का शौक होता है। हम लोग इन्हें प्यार से एनिमल लवर्स कहते हैं। कभी-कभी यह लोग अपने पालतू जानवर पर खुद से ज्यादा भरोसा कर लेते हैं। नतीजा पड़ोसियों का नुकसान होता है। आपने अक्सर देखा होगा किसी का पालतू कुत्ता पड़ोसी के खेलते हुए बच्चों को काट लेता है। आज का सवाल यह है कि यदि कोई पालतू बिल्ली पड़ोसी के घर में रखा हुआ दूध पी जाए (या फैला जाए) और घर में कोई विकल्प ना हो। भूख से तड़पता हुआ मासूम बच्चा रो-रो कर दम तोड़ दे तो क्या कोई केस दर्ज होगा। यदि होगा तो किसके खिलाफ होगा बिल्ली के खिलाफ या बिल्ली को पालने वाले के खिलाफ।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 289 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति  जंगली जानवरो या पालतू जानवरों का संरक्षण करता है या उनको पालता है। तब वह निम्न कृत्य करेगा तो वह धारा 289 का दोषी होगा:- 
1. जानवरों को खुल्ला छोड़ देगा। जिससे लोंगो को चोट या क्षति होने की संभावना हो।
2. जानबूझकर डोर को ढीली बांधेगा जिससे जानवर को भागने की संभावना हो।
3.पालतू जानवर या जंगली जानवर को आपने नियंत्रण में नहीं रखेगा।

आईपीसी की धारा 289 के तहत दण्ड का प्रावधान:- 

इस तरह के अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञये अपराध एवं जमानतीय होते हैं,एवं किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा इनकी सुनवाई की जा सकती हैं। सजा- छ:माह की कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

उधारानुसार वाद:- मोती बनाम राज्य- एक भैंस के मालिक को यह पता था कि उसकी भैस मरखुल(मारने वाली) है और वह लोगो की सींग मारने की आदी हैं, फिर भी उसने उस भैस को खुली छोड़ दी। जिसके परिणामस्वरूप भैस ने एक व्यक्ति को सींग से मारकर आहत कर दिया। इस मामले में न्यायालय ने भैस मालिक को धारा 289 का दोषी ठहराया।
बी.आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!