डॉ आम्बेडकर का भारत के नागरिकों को सबसे बड़ा उपहार ARTICLE 32

Bhopal Samachar
यह अनुच्छेद भारतीय संविधान में संविधानिक उपचारों का अधिकार कहलाता है, डॉ.भीमराव आम्बेडकर ने अनुच्छेद 32, को भारतीय संविधान की आत्मा या हृदय इसलिए कहा कि यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को यह छूट देता है कि वह अपने मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकते हैं, एवं अपने अधिकारों को लागू करने की मांग कर सकते हैं। 

सर्वोच्च न्यायालय इन अधिकारों की रक्षा के लिए अनेक प्रकार की रिट जारी कर सकता हैं जैसे:- बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-प्रच्छा, उत्प्रेरक आदि जारी कर सकता है। इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका के मामले को भी अनुच्छेद 32 के तहत सुनना प्रारंभ किया है,जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति या समूह किसी पीड़ित व्यक्ति की और से न्यायालय में मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए जा सकता है। 

सामान्य भाषा में कहे तो भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 से 35 तक सभी मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है या संरक्षण हैं अनुच्छेद 32। इसी कारण अनुच्छेद 32 को बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने इसे भारतीय संविधान की आत्मा या हृदय कहा है।
बी.आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665
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