मप्र में अब खुली जंग होगी: बीजेपी ने रास की दूसरी सीट पर दावा जताया | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में अब तक छापामार लड़ाई चल रही थी। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी एवं सहयोगी मिलाकर कुल 11 विधायक गायब हो गए थे जिनमें से आठ वापस आ गए हैं, समाचार लिखे जाते समय बिसाहू लाल बेंगलुरु से भोपाल के रास्ते में थे यानी सिर्फ दो भाजपा के पास है लेकिन फिर भी भाजपा ने राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए दावा जता दिया है। यानी मध्यप्रदेश में अब कांग्रेस और भाजपा के बीच खुली जंग होगी। कौन जीता इसका फैसला 26 मार्च को होगा। भाजपा के दावे को हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि मध्य प्रदेश के मामले की कमान अब सीधे गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में हैं।

भाजपा का ऐलान: मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 2 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे

मध्य प्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा आर-पार के मूड में है। रविवार को पार्टी की बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि 2 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे। 2 सीटों के लिए 4 नामों का पैनल दिल्ली केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया गया है। अब 2 उम्मीदवार कौन होंगे, इसका फैसला भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति करेगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि होली के बाद नाम की घोषणा हो जाएगी। राज्य सभा की तीनों सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का 9 अप्रैल को राज्यसभा में कार्यकाल पूरा हो रहा है। 

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीसरी सीट जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस को कितने विधायक चाहिए

मध्य प्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में इस वक्त 228 सदस्य हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद यह सीटें खाली हैं। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 2 प्रत्याशियों को विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के हिसाब से 115 विधायकों के मत चाहिए, जिसमें कांग्रेस को निर्दलीय विधायक और मंत्री प्रदीप जायसवाल समेत 2 विधायकों की जरूरत होगी। वहीं, भाजपा को चुनाव में दूसरे प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने विधायकों के अलावा 9 अन्य एमएलए के वोटों की आवश्यकता होगी। 

संख्या बल नहीं है तो भाजपा ने दवा क्यों जताया 

इस सवाल के पीछे मध्य प्रदेश की सारी राजनीति छुपी हुई है। यह केवल राज्यसभा की 3 सीटों का चुनाव नहीं है बल्कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की अग्नि परीक्षा भी है। यदि भारतीय जनता पार्टी दूसरी सीट हथियाने में कामयाब हो गई तो इसका दूसरा अर्थ होगा के कमलनाथ सरकार अल्पमत में है। आने वाले बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। यानी सरकार गिराई जा सकती है। राजनीति की तराजू पर फिलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है परंतु यदि कांग्रेस का एक भी विधायक कम हुआ तो केवल कांग्रेस कमजोर नहीं होगी बल्कि भाजपा मजबूत भी होगी। पहला विकल्प है क्रॉस वोटिंग जिसमें कमलनाथ सरकार बची रहेगी लेकिन राज्यसभा सीधे हाथ से निकल जाएगी और दूसरा विकल्प है कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे। यदि ऐसा हो गया तो सरकार गिर सकती है।

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कितनी सीटें हैं

प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 8 और कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं। भाजपा के राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर, थावरचंद गेहलोत, सत्यनारायण जटिया, प्रभात झा, धर्मेंद्र प्रधान, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी और संपत्तिया उइके हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों में दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा और राजमणि पटेल शामिल हैं।

फिलहाल ये है राज्यसभा का समीकरण

विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा सीट का निर्धारण होता है। 
एक राज्यसभा सीट के लिए 58 विधायकों की आवश्यकता होती है। 
मप्र में 2 विधायकों के निधन के बाद खाली हुई सीट के अलावा 228 विधायक हैं।
विधानसभा में कांग्रेस के पास 115 विधायक हैं। (सरकार में मंत्री 1 निर्दलीय भी शामिल)
सरकार को अन्य 3 निर्दलीय विधायक, 2 बसपा और 1 सपा विधायक का भी समर्थन।
कांग्रेस के हिस्से में 115 विधायकों और 6 निर्दलीय के समर्थन से 2 राज्यसभा सीट मिलेंगी।
भाजपा के पास 107 विधायक हैं। वोटिंग में महज एक सीट ही हिस्से में आएगी।

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