मप्र में मुख्य सचिव से लेकर कलेक्टर तक कौन-कौन से अधिकारी लूप लाइन में जाएंगे | MP NEWS

भोपाल। कमलनाथ सरकार के गिरते ही प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के जो अधिकारी कमलनाथ से नजदीकी के कारण पावरफुल पोजीशन में आए थे उनका लूप लाइन में वापस लौटना तय है। फिलहाल मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार का गठन नहीं हुआ है लेकिन वल्लभ भवन में लिस्ट तैयार हो गई है।

मुख्य सचिव पद के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ दीपक खांडेकर, राधेश्याम जुलानिया और इकबाल सिंह बैंस का नाम चर्चा में हैं। वहीं, प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी विवेक अग्रवाल को भी प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा सकता है। पिछले दिनों गुना, ग्वालियर सहित कुछ अन्य जिलों के कलेक्टर इस आधार पर कमल नाथ सरकार ने बदल दिए थे कि उनकी पदस्थापना ज्योतिरादित्य सिंधिया की सहमति से की गई थी। अब इन जिलों में नए सिरे से प्रशासनिक जमावट होगी।

राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता को थप्पड़ का जवाब दिया जाएगा

नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में रैली के दौरान राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के नाम पर भाजपा नेताओं के साथ जमकर मारपीट की थी। उस समय तो निधि निवेदिता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई लेकिन आप निधि निवेदिता को उसके थप्पड़ का जवाब दिया जाएगा।

कई विभागों में वरिष्ठ आईएएस अफसरों की अदला बदली होगी

मंत्रालय में सीएम व मुख्य सचिव कार्यालय से लेकर प्रमुख विभागों में अधिकारी नए सिरे से तैनात होंगे। बताया जा रहा है कि सरकार ने राजनीतिक उठापटक के बीच जिस तरह 1985 बैच के अधिकारी एम गोपाल रेड्डी को मुख्य सचिव बनाया था, उसके चलते माना जा रहा है कि उन्हें ज्यादा समय इस पद पर नहीं रखा जाएगा। रेड्डी की जगह 1985 बैच के अधिकारी राधेश्याम जुलानिया, दीपक खांडेकर व इकबाल सिंह बैंस में से किसी को मुख्य सचिव बनाया जा सकता है। तीनों ही अधिकारी भाजपा सरकार में प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं।

- खांडेकर और बैंस पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव रह चुके हैं।

- जुलानिया को लंबे समय तक जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी। कमल नाथ सरकार में जब उन्हें मुख्य सचिव नहीं बनाया गया तो वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। इन्हें वापस बुलाया जा सकता है।
- शिवराज सरकार में भी इकबाल सिंह बैंस को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा चुका है।
- विवेक अग्रवाल, जो प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान सबसे प्रभावशाली अधिकारी माने जाते रहे हैं, उन्हें भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि 1984 बैच के आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव को शिवराज सरकार में पसंद तो किया गया पर जब उन्होंने मुख्य सचिव बनाए जाने की इच्छा जाहिर की तो सहमति नहीं बनी। उनके स्थान पर इसी बैच के अधिकारी बसंत प्रताप सिंह पर भरोसा जताते हुए मुख्य सचिव बनाया गया। इससे खफा होकर वे कुछ समय अवकाश पर भी चले गए थे और बाद में उन्हें प्रशासन अकादमी में पदस्थ किया गया था। उधर, 1985 बैच के प्रभांशु कमल मई और 1984 बैच के अधिकारी पीसी मीना जुलाई में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में इन्हें मौका नहीं मिलने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है।

कमल हो सकते हैं विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष

सूत्रों के मुताबिक नए समीकरणों के चलते प्रभांशु कमल को राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नजदीकी माना जाता है। कमल नाथ सरकार में सुधिरंजन मोहंती को इस पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। आयोग के अध्यक्ष के लिए नाम प्रस्तावित करने चयन समिति की बैठक भी गुरुवार को बुला ली गई थी लेकिन अध्यक्ष सेवानिवृत्त सुनील कुमार पालो के नहीं आ पाने की वजह से यह 23 मार्च तक के लिए स्थगित हो गई।

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