भोपाल। रविवार 15 मार्च को हुई कैबिनेट बैठक में भी अतिथि शिक्षकों को दिये गये वचन को पूरा करने संबंधी किसी प्रकार की जिक्र नहीं आने का समाचार सुनकर सत्याग्रही अतिथि शिक्षकों में आक्रोश का पारा आसमान पार कर गया है। अब इन दल बदलू राजनीति कर जनता का शोषण बंद नहीं करने वाली राजनीतिक पार्टियों का खुलकर विरोध करने की रणनीति तैयार कर ली गई है। बहुत जल्द उचित समय आते ही सत्ता की भूखी राजनीतिक पार्टियों और पद लोलुप उम्मीदवारों को सबक सिखाने का काम किया जायेगा।
सरकार के नुमाइंदे इन लाखों सत्याग्रही अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए दिए गये वचन पूरा करने कुछ चिंता करने, उनके भूखे पेट को रोजी-रोटी दिलाने की चिंता छोड़कर इनकी आड़ में अपनी रोटी सेंकने में तन्मयता से लगे हुए हैं। जिसको अतिथि शिक्षक भली भांति समझते भी आ रहे हैं। कोई उनके नाम पर सत्ता में आने तो कोई उनके नाम पर सत्ता गिराने का ढोंग रचते हैं। जिसका बदला अब आने वाले उपचुनावों और स्थानीय चुनावों में लिये जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए सत्याग्रह स्थल पर तमाम बिन्दुओं पर गहन चर्चा कर रणनीति बना ली गई है।
समन्वय समिति के प्रांताध्यक्ष सुनील परिहार ने बताया कि सम्पूर्ण प्रदेश के प्राय:सभी गांव,कस्बा, शहर और महानगरों के सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षक काम करते हैं।उन स्थानों पर ये सभी संगठित भी हैं।किसी भी प्रकार के चुनाव जैसे ही आते हैं ,धोखेबाज राजनीतिक पार्टियों के विरोध में और जनता का खून चूस कर सत्ता चलाने वाली सरकार के विरोध में मतदान करने का आग्रह मतदाताओं से करेंगे। जिसके लिए जन संपर्क और डोर टू डोर सत्याग्रह शुरू कर दिया गया है।
अब तीसरा मोर्चा ही बन सकता है एक सहारा
संगठन के उपाध्यक्ष फहीम सरफरोश ने सत्याग्रहियों को संबोधित करते हुए कहा है कि इस समय अतिथि शिक्षकों के दर्द को समझ पाने के काबिल एक अपना निजी और तीसरा विकल्प बनाने का निर्णय हमने ले लिया है। जिसके लिए प्रदेश के डेढ़ लाख अतिथि शिक्षकों की संख्या बल और उनके शुभचिंतक पर्याप्त हैं।
सघन डोर टू डोर सत्याग्रह सबाब पर
समन्वय समिति सचिव रवि कांत गुप्ता ने है,कि हर पोलिंग बूथ स्तर पर अपने संगठन के जो दो दो वॉलेंटियर हमने नियुक्त कर दिए हैं,वह जनता और मतदाताओं से सघन डोर टू डोर सतृयाग्रह संपर्क में आकर सरकारों की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करने का काम गंभीरता से करेंगे।जो अब किसी भी चुनावों के आने पर सत्ता लोलुप पार्टियों व प्रत्याशियों को दखल देने का काम भी करेंगे।इस तरह अतिथि शिक्षक संगठन अब राजनीतिक गलियारों में दखल बनाकर राजनीतिक पाठ पढ़ाने के लिए विवश हैं।
सरकारी स्कूलों को बंद होने से बचाते रखने का रोज लेंगे संकल्प
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति संस्थापक पी.डी.खैरवार ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया है,कि सरकारी स्कूलों को बंद होने से बचाने के लिए संकल्प लेकर प्रदेश का हर अतिथि शिक्षक ने अपनी दैनंदिन का एक भाग बना लिया है।सरकार सबके सब स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी कर लिया है।जिसको रोकने के भरपूर प्रयास कर अतिथि शिक्षक गरीब और मध्यम वर्ग के लिए मील का पत्थर बनेंगे।जिससे करोड़ों बच्चों का और लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों का भवीष्य गर्त में जाने से बचाने का सामूहिक संकल्प लिया गया है।
आगे कहा गया है,कि अतिथि शिक्षकों के लिए दिए गये वचन पर काम करने में सत्ता के पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी भूमिका से कोसों दूर हैं। दोनों को अतिथि शिक्षकों का शोषण दिखाई नहीं दे रहा है।ऐसा इसलिए कि वर्तमान विपक्ष ने तो पिछले 2008 से ही लूटते आया है,अब बचा खुचा सवा साल से कांग्रेस भी लूटने में लगी हुई है। इन दोनों को अतिथि शिक्षकों की मेहनत ,त्याग और आर्थिक तंगी के चलते बदहाल जीवन यापन करने वाले परिवारों का असहनीय दुख दिखाई नहीं दे रहा है। जिसको देखकर स्पष्ट समझा जा सकता है,कि इन दोनों की नीति और नीयत साफ नहीं है।
अनिता हरचंदानी ने बताया कि सत्याग्रह अब और भी अधिक जोर पकड़ते हुए राजधानी के चौक चौराहों पर निकलकर आएगा।जल्द ही डोर टू डोर सत्याग्रह को जनता के बीच लेकर आने का काम आगे बढ़ाया जायेगा।
सत्याग्रह के चौरासिवां दिन अनवार कुरैशी,लखन राठौर,मयूरी चौरसिया,प्रीती चौबे,अनिता श्रीवास्तव,पुष्पा सविता,कमलेश कटारे, रामस्वरूप गुर्जर, देवेंद्र शाक्य, जगन्नाथ,दीपक गुर्जर,अजय तिवारी,किरण, बलवीर सिसोदिया ने सत्याग्रह का नेतृत्व किया है।