पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर कोर्ट केस बंद नहीं कर सकता, पीड़ित को सुनना जरूरी | Protest petition- Supreme Court decision

नई दिल्ली। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि किसी आपराधिक मामले में पुलिस क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दे तो इसका मतलब यह नहीं कि केस बंद कर दिया जाएगा। कोर्ट को चाहिए कि वह पीड़ित को नोटिस भेजें और उसका पक्ष भी सुनें। मजिस्ट्रेट द्वारा यदि उसे नोटिस नहीं दिया गया है तो उसे प्रोटेस्ट अर्जी दायर करने का पूर्ण अधिकार है।

प्रोटेस्ट पिटिशन पीड़ित का अधिकार, खारिज नहीं कर सकते

जस्टिस एमएम शांतनागौडर और आरएस रेड्डी की पीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट के इस आदेश में कुछ भी गलत नहीं देखते, जिसमें राज्य के उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट को आदेशित किया है कि वह प्रोटेस्ट अर्जी पर सुनवाई करे। कोर्ट ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि संबद्ध मजिस्ट्रेट प्रोटेस्ट अर्जी पर याचिकाकर्ता को भी सुनेगा और फैसला लेगा कि समन जारी किए जाएं या नहीं।

कोर्ट ने कहा कि जब पुलिस मजिस्ट्रेट के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दायर करती है तो मजिस्ट्रेट उसमें घटित अपराध पर संज्ञान लेता है या सबूतों के अभाव में कार्यवाही समाप्त करता है तो ऐसी स्थिति में वह पीड़ित या शिकायतकर्ता को नोटिस देगा। 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने किस मामले में यह फैसला दिया

मद्रास के एक मामले में पुलिस ने अपराध की सूचना पर जांच की थी। इसमें पुलिस को कुछ सबूत नहीं मिले और पुलिस ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट स्वीकार करते समय मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता को नहीं बुलाया। इसके खिलाफ शिकायतकर्ता हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट से कहा कि उसकी प्रोटेस्ट अर्जी पर सुनवाई की जाए, जिसके खिलाफ शिकायत की गई थी। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !