भोपाल। 2013 में जारी राजपत्र के अनुसार मध्यप्रदेश में राज्य शिक्षा सेवा कैडर लागू हो चुका है। इस आधार पर प्रमोशन भी हो चुके हैं। राजपत्र के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र को बंद किया जाना है। डीपीसी, बीआरसीसी के सभी पद समाप्त हो चुके हैं परंतु मजे की बात देखिए, अफसरों ने शिक्षा मंत्री को इसके बारे में बताया ही नहीं और डीपीसी पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए इंटरव्यू कॉल कर लिए।
राज्य शिक्षा केंद्र को बंद करके समग्र शिक्षा अभियान का गठन होना था
राज्य शिक्षा सेवा के अंतर्गत राज्य शिक्षा केंद्र और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) को विलय कर समग्र शिक्षा अभियान का गठन होना था, जो अभी तक नहीं हुआ। इसके तहत पहली व 12वीं तक की शिक्षा व्यवस्था एक ही विभाग के अंतर्गत होने वाली थी। इसके तहत डीपीसी, विकासखंड स्त्रोत समन्वयक (बीआरसी) के पद समाप्त होकर पूरी शिक्षा व्यवस्था जिला शिक्षा अधिकारी के अंदर होनी थी जो अभी तक नहीं हुआ है।
समाप्त हो चुके डीपीसी पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए इंटरव्यू कॉल कर डाले
इधर राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिलों में डीपीसी के पद पर नियुक्ति के लिए 239 प्राचार्यों को 10 व 11 फरवरी को इंटरव्यू के लिए बुलाया है। इंटरव्यू के लिए शासन की ओर से कमेटी भी गठित कर दी गई है। वहीं समग्र शिक्षा अभियान के तहत विभाग संकुल व्यवस्था समाप्त कर स्कूलों पर मॉनीटरिंग के लिए एरिया एजुकेशन आफिसर (एईओ) की नियुक्ति करनी थी। इसके तहत प्रदेश भर में 300 से अधिक एरिया एजुकेशन आफिसर (एईओ) की नियुक्ति होनी है, इसके लिए परीक्षा भी ली गई थी , लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हुई।
बीआरसी व डीपीसी का रोल खत्म होना था
एईओ की नियुक्ति होते ही संकुल प्राचार्यों के अलावा डीपीसी, बीआरसी और जनशिक्षकों की व्यवस्था समाप्त करनी थी। विभाग नवीन शिक्षण सत्र से राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग को अस्तित्व में लाने की तैयारी में है। इसके लिए अधिकारियों के बीच बैठक भी हो चुकी है। विभाग का मानना है कि एरिया आफिसर की नियुक्ति होने से बड़ी संख्या में शैक्षणिक व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित होगी।
शिक्षा मंत्री को पता ही नहीं, समाप्त हो चुके पदों पर प्रतिनियुक्ति शुरू करवा दी
इस मामले में डॉ. प्रभुराम चौधरी, स्कूल शिक्षा मंत्री का बयान सामने आया है। उनका कहना है कि पिछली सरकार में क्या आदेश लागू हुए हैं, इसकी जानकारी नही है। अभी जिन जिलों में डीपीसी के पद खाली हैं, वहां पर प्राचार्यों को प्रतिनियुक्ति देने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू है। कितनी अजीब बात है। शिक्षा मंत्री को उनके विभाग में हुए परिवर्तन का पता ही नहीं और चौंकाने वाली बात यह है कि जब बता दिया गया तब भी वो ऐसा बयान दे रहे हैं मानो शिक्षा विभाग को उन्होंने लीज पर लिया हो। अपने नियम चलाएंगे। बड़ा सवाल यह है कि यदि किसी ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी तब क्या होगा। सारी प्रतिनियुक्तियां धरी की धरी रह जाएंगी।