MPPSC आरक्षण कैरी फॉरवर्ड रूल को हाई कोर्ट में चैलेंज, नोटिस जारी | MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा में एक और विवाद सामने आ गया है। हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग हॉरिजेंटल आरक्षण सिस्टम में भी कैरी फॉरवर्ड नियम का पालन कर रहा है जबकि यह असंवैधानिक है। याचिकाकर्ता इस नियम को निरस्त कर आना चाहता है। याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल एवं जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीज़न बेंच ने सचिव विधि एवं विधायी कार्य विभाग दिल्ली, सचिव सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग दिल्ली तथा भेापाल, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश तथा लोक सेवा आयोग इंदौर के चेयरमैन को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

अधिवक्ता अंकित मिश्रा तथा प्रिया शुक्ला ने बताया कि भोपाल निवासी आदित्य खरे ने हाईकोर्ट में भारत सरकार, राज्य शासन सहित लोक सेवा आयोग के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि संसद ने 2016 में दिव्यांगता अधिकार अधिनियम-2016 पारित किया था। अधिनियम की धारा 34 में निशक्तजनों के लिए आरक्षित पदों में से रिक्त पदों को कैरी-फॉरवर्ड करने का प्रावधान है। इसी धारा के परिपालन में लोक सेवा आयोग पिछले कई सालों से निशक्तजनों के रिक्त पदों को कैरी-फॉरवर्ड कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के दो प्रकार बताएं, वर्टिकल और होरिजेंटल

सुनवाई दौरान अधिवक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी प्रकरण में आरक्षण दो प्रकार का बताया है। वर्टीकल और हॉरिजेंटल। अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण वर्टीकल श्रेणी में आता है। निःशक्तजन, एक्स सर्विसमैन, महिलाओं के लिए आरक्षण हॉरिजेंटल आरक्षण की श्रेणी में आता है।

कैरी फॉरवर्ड नियम हॉरिजेंटल आरक्षण पर लागू नहीं किया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट तथा अन्य हाईकोर्टों के अलग अलग न्याय दृष्टांतों में इस बात को कई बार स्पष्ट किया गया है कि कैरी-फॉरवर्ड नियम हॉरिजेंटल आरक्षण पर लागू नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद भी इस नियम को मध्यप्रदेश में विभिन्न भर्तियों में उपयोग किया जा रहा है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा-2017 के जरिए विभिन्न विभागों में सहायक यंत्री के पदों की भर्ती की थी। 

इसमें याचिकाकर्ता भी उम्मीदवार था। परीक्षा का परिणाम अक्टूबर-2018 में घोषित हुआ। इसमें याचिकाकर्ता का नाम अनुपूरक सूची में था जबकि मुख्य सूची के कुल विज्ञापित पदों में से कुछ पद अभी भी रिक्त हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांतों तथा तर्क सुनने के बाद भारत सरकार सहित राज्य शासन व पीएससी के अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !