भरतपुर (राजस्थान)। यदि किसी व्यक्ति की बीमा पॉलिसी में गलत उम्र दर्ज हो गई है या फिर बीमा धारक ने अपनी उम्र छुपाते हुए बीमा पालिसी प्राप्त की है तो इस आधार पर उसका बीमा क्लेम खारिज नहीं किया जा सकता। उपभोक्ता फोरम ने यह फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को क्लेम अदा करने के आदेश दिए हैं।
बीमा धारक के दस्तावेजों की जांच करना एजेंट का काम
मंच ने माना है कि जीवन बीमा निगम के एजेंट ने बीमा करते समय सभी दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद ही प्रपोजल फार्म भरा गया और उस समय राशन कार्ड में बीमित की उम्र वही दर्ज थी। यह नहीं माना जा सकता है कि बीमाधारी ने जानबूझकर कपटपूर्ण तरीके से किसी महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाया गया हो, एजेंट ने भी उसे ही सही माना है। निर्वाचक नामावली में उम्र सही दर्ज हो यह भी सुरक्षित रूप से नहीं कहा जा सकता है।
बीमा पॉलिसी में उम्र गलत दर्ज थी इसलिए क्लेम खारिज कर दिया
वकील संतोषी लाल गर्ग के अनुसार गांव वारा खुर्द, रहीमगढ़ वैर निवासी भगवत पुत्र हरज्ञान ने एक परिवाद मंच के समक्ष पेश किया कि उसकी पत्नी विरमा ने अपने जीवन पर 12 फरवरी 2015 को 80 हजार रुपए का बीमा कराया था। बीमा के समय उम्र के दस्तावेज के रूप में राशन कार्ड, जॉबकार्ड दिए थे। जिसमें परिवादी की पत्नी की उम्र 49 वर्ष थी। उसी के आधार पर बीमा किया गया था। परिवादी की भक्ति की तबियत खराब हो जाने के कारण 21 मई 2016 को करीब एक वर्ष 3 माह बाद मृत्यु हो गई थी। बीमा कम्पनी को क्लेम पेश किया। बीमा कम्पनी ने अपने 17 फरवरी 2017 के पत्र के माध्यम से क्लेम खारिज कर दिया और कहा कि आपकी पत्नी की उम्र 49 वर्ष न होकर 67 वर्ष है। उम्र छुपाकर बीमा कराया है।
इस मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच के अध्यक्ष सत्यजीत राय, सदस्या सविता सिंघल, सदस्य दीपक मुदगल ने की और जीवन बीमा निगम को आदेश दिए कि परिवादी की पत्नी की बीमा पॉलिसी की क्लेम राशि 80 हजार रुपए तथा इस राशि पर परिवाद पत्र प्रस्तुत करने की तारीख 27 नवंबर 2017 से अदायगी तक 9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज सहित अदा करे। मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति स्वरूप व परिवाद व्यय स्वरूप 5 हजार रुपए भी अदा करे।