कमलनाथ सर, क्या वचन देते समय भरोसा नहीं था कि सरकार बन जाएगी | KHULA KHAT

आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्कार, मप्र कांग्रेस पार्टी की सरकार आए 1 वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है। शिक्षक दिवस के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने ​ट्विट के माध्यम से मुख्यमंत्री महोदय जी को शिक्षकों, अतिथि शिक्षकों एवं विद्वानों, गुरूजियों से किए गए वादे पूरे करने को कहा था उसके बाद शिक्षकों के कार्यक्रम मे दूसरे दिन उन्होेनें सीएम साहब को घोषणा करने को कहा था। मुख्यमंत्रीजी ने कहा घोषणा की आवश्यकता नहीं है हमने वचन दिया है पूरा करेंगे। मगर अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है। यहां तक कि मप्र की धरती पर फिर से महिला अतिथि विद्वान को सरकार की संवेदनाहीनता के कारण मुंडन कराना पड़ा। 

प्रदेश मे अतिथि शिक्षक एवं विद्वान दो माह से आंदोलन कर रहे है लेकिन चुनाव पूर्व बिना सोचे समझें वचन देने वाले कांग्रेस नेता अब उच्च शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा के नये नये नियम बताकर अपने वादों से मुकर रहे है। यहां तक कि मुख्यमंत्री जी जो चुनाव पूर्व इन कर्मचारियों को बुला बुलाकर वचन दे रहे थे। अब तक इन कर्मचारियों के बीच उनकी समस्याओं को सुनने तक नही गए है न ही उनकी सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए कोई स्प्ष्ट नीति अब तक घोषित की है। 

इसी प्रकार वर्ग 2 शिक्षक भर्ती मे इतने कम पद विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिन्दी  विषय के निकाले है कि परीक्षा पास डीएड, बीएड अतिथि शिक्षक जो वर्षों से सेवा दे रहे है व पात्रता परीक्षा भी पास है वे भी नियमित शिक्षक नहीं बन पायेंगे। इसलिए सरकार को अतिथि शिक्षकों का भविष्य  सुरक्षित करने के लिए हरियाणा एवं दिल्ली की तरह इनके लिए सेवानिवृत्ति की आयु तक नियमित सेवा देने के नियम बनाकर व इन राज्यों मे दिया जा रहा वेतन लागू कर देना चाहिए ताकि वर्षों से सेवा दे रहे अतिथि शिक्षक जो अब मानसिक परेशानी एवं आर्थिक अनिश्चितता से गुजर रहे है उनकी परेशानी कम हो सके अथवा गुरूजी की तर्ज पर पात्रता परीक्षा पास डीएड, बीएड अतिथि शिक्षकों का नियमितिकरण कर देना चाहिए। 

नियम जनहित के लिए बनाए जाते है एवं समय परिस्तिंथि के अनुसार बदले भी जाते है न कि नियमों बताकर जनहित बाधित करने के लिए। जो अतिथि शिक्षक वर्षों से अल्पमानदेय पर सेवा देकर प्रदेश के छात्रों का भविष्य गढ़ रहे हैं अगर उनकी इस तरह अनदेखी की जाती रही तो क्या वे डिप्रेशन से बच पायेंगे। जब कांग्रेस के दिग्गज 90 दिन मे नियमितिकरण का वचन दे रहे थे तक क्या खुद उनको भरोसा नहीं था कि वे सरकार बना पायेंगे या फिर सत्ता पाने की लालसा मे बिना सोचे विचारे अनगिनत वचन देते रहे और अब किसी बहाने इनसे बचने के लिए 5 साल का समय मॉंग रहे है। 90 दिन मे नियमित करने का वचन किस आधार पर दिया था। पिछले कुछ वर्षों मे म.प्र मे शिक्षकों एवं महिलाओं का जो अपमान हो रहा है वह मप्र की संस्कृंति के विपरीत है कांग्रेस का वरिष्ठ नेतृत्व  सोनिया गॉंधीजी, राहुल जी, प्रियंका जी भी अब तक मौन है यह नैतिक संवेदनाहीनता को घोतक है।
सादर धन्यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र

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