मंत्री जीतू पटवारी के बयान से अतिथि विद्वान नाराज पूछा: और कितनी बलि चाहती है सरकार | ATITHI VIDWAN NEWS

भोपाल। भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क में आज सुबह से ही सन्नाटा पसरा हुआ है। आम दिनों में अतिथि विद्वानों के ओजस्वी भाषणों और नारों से गूंजने वाले पंडाल में अजीब सी खामोशी है। आज हर अतिथिविद्वान की आंख नम है। कारण अतिथिविद्वान संजय कुमार की अकाल मृत्यु ने अतिथिविद्वानों को झकझोर कर रख दिया है। शोकमग्न अतिथिविद्वान अपने दिवंगत साथी स्व संजय कुमार को श्रद्धांजलि देने आज शाहजहांनी पार्क में एकत्रित हुए हैं। सभी के मन मे केवल एक प्रश्न है कि आखिर नियमितीकरण की शर्त पर कमलनाथ सरकार और कितने अतिथिविद्वानों की बलि लेना चाहती है। 

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार भले ही सरकार हमारे दो माह के आंदोलन के बाद भी संवेदनहीन बनी हुई है लेकिन दो माह के आंदोलन के स्व. संजय कुमार की असमय मृत्यु रूपी साइड इफेक्ट अब सामने आने लगे हैं। सरकार ने वचनपत्र में स्वयं हमारे नियमितीकरण का वादा राहुल गांधी एवं मुख्यंमत्री कमलनाथ ने किया था। अब क्या कारण है कि स्वयं अपने वादे पर मुख्यमंत्री कमलनाथ कायम नही रह पा रहे हैं। हमने संकल्प लिया है कि अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण लिए बगैर हम शाहजहांनी पार्क से हटने वाले नही हैं।

मंत्रीजी का बयान जले में नमक के समान

अतिथिविद्वान आने साथी की अकाल मृत्यु के सदमे से अभी उबरे भी नही थे। जबकि मन्त्री जीतू पटवारी जी ने एक और बचकाना बयान दिया है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार मंत्रीजी का बयान जले में नमक के समान है। होना यह चाहिए था कि दुख की इस घड़ी में मंत्रीजी अपने बयान से कम से कम हमारे ज़ख्मों में मरहम तो लगा ही सकते थे, जबकि उन्होंने मरहम के स्थान पर पूर्व की भांति नमक लगाना ही उचित समझा। मंत्रीजी ने अपने बयान में कहा है कि हम जल्दी 500 पदों के लिए फिर से अतिथिविद्वानों की चॉइस फिलिंग करवाने वाले हैं। अब यक्ष्य प्रश्न यह है कि जब अतिथिविद्वान जो पूर्व से ही समान पद में कार्य कर रहे हैं एवं अपने नियमितीकरण के लिए पिछले दो माह से आंदोलनरत हैं, उन्हें फिर से चॉइस फिलिंग का झुनझुना क्यों पकड़ाया जा रहा है।

सारा दोष शोषणकारी अतिथिविद्वान व्यवस्था का है

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि अतिथि विद्वानों की दुर्दशा के मूल में दरअसल हत्यारी अतिथिविद्वान व्यवस्था एवं इसकी शोषणकारी सेवाशर्तें ही दोषी हैं। जिसमे बिना किसी छुट्टी की सुविधा, बिना किसी भत्ते अथवा सरकारी सुविधा के केवल मजदूरों की तर्ज़ पर सरकार उच्च शिक्षित  युवाओं से प्रतिदिन की मजदूरी के हिसाब से कालेजों में अध्यापन कार्य करवाती है। पूर्ववर्ती दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा कम पैसों में सारा काम करवाने के उद्देश्य से पश्चमी देशों की तर्ज़ पर अतिथिविद्वानों की भर्ती की गई। इनसे काम तो पूरा लिया गया जबकि चालाकी से पश्चमी देशों के उलट मानदेय में भारी कटौती की गई और कोई सुविधाएं भी नही दी गई। इससे लगभग दो दशकों से पढ़ा रहे अतिथिविद्वान आर्थिक रूप से टूट गए। अतिथिविद्वान इसी शोषणकारी व्यवस्था के खात्मे एवं कांग्रेस पार्टी के वचनपत्र के अनुसार नियमितीकरण की मांग पर दो महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। जबकि मंत्री जीतू पटवारी समस्त मीडिया जगत और आमजन को इसी चॉइस फिलिंग के नाम पर भ्रम की स्थिती बनाये गए हैं। अतिथिविद्वान इस व्यवस्था का खत्मा एवं अपना नियमितीकरण चाहते हैं जबकि मंत्रीजी उन्हें अतिथिविद्वान बनाये रखते हुए स्वयं की पीठ थपथपा रहे हैं।

अतिथिविद्वानों ने आयोजित की प्रेसवार्ता

मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया ने बताया कि दो माह के आंदोलन एवं दिवंगत साथी स्व संजय कुमार के दुखद निधन के संबंध में अतिथिविद्वानों ने आज शाहजहांनी पार्क में एक प्रेसवार्ता का आयोजन कर सरकार को नियमितीकरण के संबंध में जल्द निर्णय लेने की बात कही है। अतिथिविद्वानों ने कहा है कि जीवन कि अंतिम सांस तक नियमितीकरण की लड़ाई लड़ी जाएगी। स्व. संजय कुमार की अकाल मृत्यु सरकार को यह चेतावनी दे रही है कि व्यवस्था में कहीं न कही दोष तो हैं, क्योंकि ये असंतोष का लावा अंदर ही अंदर उबल रहा है। इस असंतोष का कभी भी विस्फोट हो सकता है। संजय कुमार व्यवस्था से दुखी और परेशान थे तभी ऐसा घातक कदम उठाये। अन्यथा प्रसन्न व्यक्ति कभी अपना जीवन समाप्त करने की नही सोचता है।

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