अनशन पर बैठे अतिथि शिक्षक दूषित पानी और आधा भोजन के कारण कुपोषित हो रहे हैं | ATITHI SHIKSHAK NEWS

भोपाल। भोपाल के शाहजहानी पार्क में प्रदेश के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले आतिश शिक्षकों का सत्याग्रह अनवरत रूप से 62 दिनों से जारी है अतिथि शिक्षक बिना अपने मांगों को पूरा किए पार्क छोड़ने को तैयार नहीं है और प्रशासन भी अभी तक उनसे बात करने की कोशिश नहीं कर रहा है सरकार की ओर से कोई भी प्रतिनिधि  मंडल अतिथि शिक्षकों से बात करने के लिए नहीं आया अतिथि शिक्षक अब पार्क में एक टाइम खाना खाकर दूषित पानी पीकर बीमार होते जा रहे हैं और उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है फिर भी अतिथि शिक्षक हटने को तैयार नहीं है अतिथि शिक्षकों का आरोप है कि सरकार उनके साथ हमेशा सौतेला व्यवहार  करती अाई है अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने हमसे कहा कि हमारे पास बजट नहीं है इसलिए हम आपके नियमितीकरण के मांग अभी पूरा नहीं कर सकते वहीं दूसरी ओर सरकार उच्च शिक्षक भर्ती की प्रोविजनल सूची जारी कर दी है सरकार के पास उनको देने के लिए बजट है लेकिन जो अतिथि शिक्षक अनार्थिक मांग कर रहे हैं अपने वर्तमान मानदेय में कार्य करने को तैयार हैं उनके लिए सरकार के पास बजट नहीं है इसका मतलब यह है कि सरकार हमें हमसे झूठ बोल रही है क्योंकि शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों को सरकार 40000 से ₹45000 का मानदेय देगी जिसमें में करीब 10 अतिथि शिक्षक कार्य करते हैं तो सरकार लगभग 20000 शिक्षकों की भर्ती कर रही है जिसमें करोड़ों का  आर्थिक भार सरकार के ऊपर आएगा और उसमें लगभग 20,000 शिक्षक मिल पायेगे और उतने ही  बजट में लगभग 50,000 अतिथि शिक्षक कर लेंगे लेकिन सरकार समझने को तैयार नहीं है।  सत्याग्रह नेतृत्व आयुषी तिवारी मयूरी चौरसिया अनवार कुरैशी फहीम खान प्रीति चौबे रविकांत गुप्ता अखिलेश बेंद्रे व अन्य अतिथि शिक्षकों ने किया।

विभागीय अधिकारी मंत्रियों को कर रहे  गुमराह

अति शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष फ़हीम खान ने कहां की विभाग के मंत्री सरकार के मंत्रियों को गुमराह कर रहे हैं वह सरकार को बताते हैं कि हमने   अतिथि शिक्षकों को बोनस अंक और भर्ती में आरक्षण दे दिया है । और कहते हैं कि अति शिक्षक आयोग में उन्हें हम मैं वेट नहीं कर सकते क्योंकि वह योग्यता नहीं  रखते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि  हमारे  ज्यादा से ज्यादा  अतिथि  शिक्षक योग है और हम विभागीय मंत्रियों से यह पूछना चाहते हैं कि अगर अतिथि शिक्षक आयोग थे वह 12 वर्षों से इस सरकारी स्कूलों में सेवा क्यों दे रहे हैं उनके पढ़ाए  हुए बच्चे भी तो अयोग्य होंगे तो आपने अयोग्य अतिथि शिक्षकों से सेवा क्यों ली  आपको पहले ही केवल योग्य अतिथि शिक्षकों की भर्ती करनी थी तब आपने पैसे बचाने के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर ली और 12 साल काम करवाने के बाद आप कह रहे हैं कि अतिथि शिक्षक अयोग्य   हैं।

 बारह वर्षो का अनुभव  या प्रशिक्षित  ज्यादा योग्य कौन ??? 

अतिथि शिक्षकों संघ की महिला बिंग की अध्यक्ष अनिता हरचंदानी ने कहा कि अतिथि शिक्षकों ने 12 वर्षों तक स्कूलों में काम किया है तो वह प्रशिक्षित शिक्षकों से ज्यादा योग है क्योंकि उन्हें 12 सालों में अनुभव हो गया है कि हमें बच्चों को कैसे शिक्षा प्रदान करनी है सरकार हमें यह बता दें कि प्रशिक्षित  कहते किसे हैं जिन आतिथि शिक्षको को  12 वर्षों का अनुभव है या  जो अभ्यर्थी  2-3 लाख प्राइवेट कॉलेजों को देकर मार्कशीट बनवा लें और कॉलेज 1 दिन भी ना जाए। अतिथि शिक्षक 12 सालों से स्कूलों में अपनी सेवाएं प्रदान कर अनुभव हासिल किया है । सरकार  बता दे कि दोनों में ज्यादा  योग्य कौन है ??

भर्ती में 25% आरक्षण में भी धोखा 

अतिथि शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने उन्हें शिक्षक भर्ती में 25% आरक्षण देने का वादा किया था लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि हम आपकी भर्ती केवल उसी कोटे में करेंगे क्योंकि अतिथि शिक्षकों से कट आफ आने वाले  अभ्यर्थियों का नाम प्रोविजनल सूची में है वही अतिथि शिक्षकों का कट ऑफ उनसे ज्यादा होने के बाद भी अति शिक्षकों का नाम प्रोविजनल सूची में नहीं आया क्योंकि सरकार ने आतिथि शिक्षकों को 25 परसेंट आरक्षण दिया है और उनकी सीट उसी में सीमित कर दिया है । जिस जिसका आतिथि शिक्षक संगठन विरोध करता है।

अतिथि शिक्षकों को शिक्षक कांग्रेस ने दिया समर्थन

अतिथि शिक्षकों के सत्याग्रह को शिक्षा कांग्रेश की ओर से नवनीत चतुर्वेदी सुभाष सक्सेना व प्रेमनारायण तिवारी पहुंचकर अतिथि शिक्षकों के समर्थन किया । प्रेम नारायण तिवारी आदि शिक्षकों को संबोधित करते कहा कि हम आपके मांगों का समर्थन करते हैं और शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री से निवेदन करते हैं कि वह आपकी मांगी को पूरा करें । वाह हमारा संगठन भी अपनी तरफ से शिक्षा मंत्री व मुख्य मंत्री से बात करके आपके ब का निराकरण करने हेतु बात करेंगे

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