हाई कोर्ट को कंफ्यूज करना चाहते थे 52 डॉक्टर, याचिका खारिज, जुर्माना लगाया | MP NEWS

जबलपुर। वह जमाना गुजर गया जब डॉक्टर संवेदनशील होते थे और उन्हें भगवान के समतुल्य माना जाता था। इन दिनों डॉ वह सब कुछ कर रहे हैं जिसकी उम्मीद कतई नहीं की गई थी। हालात यह के 52 डॉक्टरों ने हाई कोर्ट को कंफ्यूज करने की कोशिश की। तथ्यों को छुपाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। जब मामले का खुलासा हुआ तो हाईकोर्ट ने ना केवल डॉक्टरों की याचिका खारिज की बल्कि जुर्माना भी लगा दिया।

भोपाल के एलएन मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स में दाखिला लेने वाले 52 छात्रों की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। आवेदकों का कहना था कि उन्हें वर्ष 2019-2020 के सत्र में एमडी-एमएस कोर्स में काउंसिलिंग के बाद दाखिल मिला था। उस दौरान उन्हें बताया गया था कि उनकी एक साल की फीस 11 लाख 55 हजार रुपए होगी। इसी आशय का एक पत्र डीएमई ने भी जारी किया था। याचिका में आरोप है कि हाल ही में एनरोलमेंट (परीक्षा) फॉर्म भरने के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा गया कि उनकी फीस बढ़ गई है, इसलिए उन्हें अब 31 दिसंबर 2019 तक 13 लाख 75 हजार रुपए भरना होंगे। ऐसा न होने की सूरत में उनको परीक्षा फॉर्म नहीं भरने दिया जाएगा। 

कॉलेज प्रबंधन के इस रवैये को चुनौती देकर दायर इस याचिका में दावा किया गया था कि बिना सुनवाई का मौका दिए यह फीस वृद्धि की गई, जो अवैधानिक है। मामले पर जारी नोटिस के बाद कॉलेज प्रबंधन ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाकर्ता छात्रों ने नोटराइज्ड स्टाम्प पेपर पर अंडरटेकिंग दी थी कि वह सभी बढ़ी हुई फीस को मानेंगे एवं उसको किसी भी न्यायालय में किसी भी परिस्थिति में चुनौती नहीं देंगे। इतना ही नहीं, फीस विनियामक आयोग के आदेश पर ही उक्त फीस बढ़ाई गई है। 

सुनवाई के दौरान कॉलेज की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ गुप्ता द्वारा दी गईं दलीलों और जवाब के साथ संलग्न दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने तथ्यों को छिपाकर याचिका दायर की है। इस पर युगलपीठ ने कॉस्ट लगाकर याचिका खारिज कर दी। जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की युगलपीठ ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने छात्र स्वच्छ हाथों के साथ यह मामला दायर नहीं किया, इसलिए उनकी याचिका खारिज की जाती है। युगलपीठ ने कॉस्ट की रकम 30 दिनों के भीतर मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने कहा है। 
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