भोपाल। राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में अतिथिविद्वानों के आंदोलन ने अर्धशतक पूरा कर लिया है। 55 दिनों से जारी अतिथिविद्वानों में इस आंदोलन में महिलाओं और इनके छोटे-छोटे बच्चों ने भी अपनी सहभागिता निभाई है। अतिथि विद्वान नियामितिकरण संघर्ष मोर्चा में संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार अतिथिविद्वानो की केवल एक ही मांग है कि कांग्रेस पार्टी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो वादा अतिथिविद्वानों से विधानसभा चुनावों के पूर्व किया था, उसे अविलंब पूरा किया जाए। किन्तु कांग्रेस सरकार की संवेदनशीलता का ये आलम है कि मांगे मानना तो दूर सरकार का कोई भी नुमाइंदा अब तक अतिथिविद्वानों का हाल जानने शाहजाहानी पार्क तक नही पहुँच सका है।
मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार आंदोलन के दौरान अतिथि विद्वानों और उनके परिजनों की जान तक चली गयी, यहां तक कि कुछ अतिथिविद्वानों को स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप जैसी स्थायी बीमारियों का शिकार होना पड़ा है। किन्तु सरकार ने बीमार अतिथिविद्वानों तक कि कोई सुध नही ली है। सरकार के इसी कदम से पता चलता है कि कमलनाथ सरकार अपने वचनपत्र के प्रति कितनी गंभीर है।
अतिथिविद्वान पंडाल में ठंड में मर रहे, सरकार आईफा की तैयारी में मस्त
अतिथिविद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा में प्रवक्ता डॉ मंसूर अली का कहना है कि एक ओर अतिथिविद्वान शाहजहानी पार्क में कड़ाके की ठंड में अपने भविष्य के संरक्षण की जंग लड़ रहे है। जबकि सरकार मनोरंजन में व्यस्त है। जब प्रदेश घोर वित्तीय संकट से जूझ रहा है तब इस प्रकार के आयोजन का कोई औचित्य नही रह जाता है। किन्तु प्रदेश सरकार के पास इस तरह कें मनोरंजन के साधनों पर खर्च करने के लिए पैसे हैं, जबकि प्रदेश के उच्च शिक्षित बेटे व बेटियों के भविष्य संरक्षित करने के उपाय सरकार के पास नही है।
उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल इंडियन फ़िल्म अवार्ड (आईफा) प्रति वर्ष सिने जगत के लोगों को प्रदान किये जाते है। इस वर्ष यह इंदौर में आयोजित होने जा रहा है, जिसमे बड़ा वित्तीय बोझ सरकार पर आने वाला है। जबकि सरकार लगातार बाजार से क़र्ज़ लेकर प्रदेश चला रही है। किसानों की क़र्ज़ माफी और रोजगार के क्षेत्र में लोग बेहाल हैं। कांग्रेस का चुनावी वचनपत्र हाशिये पर है। भूमि और रेत माफिया के हौसले बुलंद हैं। ऐसी स्थिति में सरकार किस सोच के साथ प्रदेश पर मनोरंजन के लिए इतना बड़ा वित्तीय बोझ डाल रही है। यह समझ से परे है।
उच्च शिक्षा मंत्री सोशल मीडिया में व्यस्त, रोजगार के मुद्दे पर किये जा रहे हैं ट्रोल
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा में मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान तथा डॉ आशीष पांडेय के अनुसार उच्च शिक्षा मंत्री जी के पास सोशल मीडिया के अलावा किसी के लिए समय नही है। मंत्रीजी अपने सोशल मीडिया के वर्चुअल वर्ल्ड से बाहर निकले तो उन्हें अतिथिविद्वानों की पीड़ा और दर्द दिखाई दे। अतिथिविद्वान समुदाय को फालेन आउट के माध्यम से समूल नष्ट करके चर्चा में आये उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी केंद्र सरकार को रोजगार के मुद्दे पर ट्वीट कर रहे है, बदले में उन्हीं के रोजगार संबंधी ट्वीट पर लोगों द्वारा उन्हें ट्रोल किया जा रहा है।
लोगों का कहना है की जब स्वयं मंत्रीजी ने 2700 से अधिक कार्यरत अतिथिविद्वानों को बेरोजगार कर दिया फिर वे किस मुँह से केंद्र सरकार को रोजगार पर प्रवचन सुना रहे हैं। कहीं न कही ये उच्च शिक्षा विभाग की गलत नीतियों का ही दुष्परिणाम है कि पिछले दो दशकों से प्रदेश की उच्च शिक्षा को अपने खून पसीने से सींचने वाले अतिथिविद्वानों को कांग्रेस सरकार के राज में बेरोजगार कर दिया गया है। यहां तक कि अतिथिविद्वानों के परिवार तक आज घोर वित्तीय संकट के कारण सड़क पर आ चुके हैं।