भोपाल। मध्यप्रदेश में जबकि सरकारी नौकरियों के लिए कमलनाथ सरकार पर भारी दबाव है, महिला एवं बाल विकास विभाग ने 1050 पदों पर गुपचुप भर्ती कर डाली। चौंकाने वाली बात यह है कि भर्ती परीक्षा का आयोजन तो बड़ी बात, बढ़ती की सामान्य सूचना तक जारी नहीं की गई। नियमों का खुला उल्लंघन नजर आता है। सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत सरकार महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा फरवरी 2018 में पोषण अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु मध्यप्रदेश में राज्य, जिला और विकासखंड परियोजना स्तर पर लगभग 1050 पदों को संविदा आधार पर भर्ती करने की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की थी।
केंद्र सरकार की स्वीकृति के उपरांत महिला बाल विकास मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने उक्त पदों पर आउटसोर्स भर्ती करने का निर्णय किया। विभाग द्वारा आउटसोर्स एजेंसी तय करने के लिए टेंडर जारी किया गया जिसमें इंदौर की थर्ड आई सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी का चयन किया गया। इसी कंपनी ने सभी पदों पर सीधी भर्ती कर दी। ना कोई विज्ञापन जारी किया, ना परीक्षा हुई। किसी को पता तक नहीं चला।
प्रक्रिया पर सवाल क्यों, आपत्ति क्या है
इस पूरी भर्ती प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
केंद्र सरकार ने संविदा नियुक्ति की अनुमति दी थी, आउट सोर्स क्यों किया गया।
मध्यप्रदेश में जबकि बेरोजगारों की फौज मौजूद है गुपचुप भर्ती कैसे हो गई।
भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन जारी क्यों नहीं किया गया।
भर्ती परीक्षा का आयोजन क्यों नहीं किया गया।
नियुक्त किए गए कर्मचारियों की योग्यता पर सवाल है।
नियुक्ति देने वाली कंपनी आरटीआई के दायरे में नहीं आती।
सरकार की निष्पक्षता पर उंगलियां उठ रही है।
विभागीय अधिकारियों एवं संबंधित कांग्रेस नेताओं ने अपने रिश्तेदारों की भर्ती करवा ली।
क्यों ना यह संदेह किया जाए कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हुआ है।